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होशंगाबाद

जैविक खेती से लखपति और आत्मनिर्भर हुआ यह किसान

जिले के कई किसान बलराम तालाब के माध्यम से खेती करके आत्मनिर्भता की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

होशंगाबादFeb 10, 2022 / 12:36 pm

devendra awadhiya

जैविक खेती से लखपति और आत्मनिर्भर हुआ यह किसान

जैविक खेती से लखपति और आत्मनिर्भर हुआ यह किसान

नर्मदापुरम.जिले के समीपस्थ ग्राम रोहना में किसान रूप सिंह राजपूत 1.615 हैक्टेयर रकबे में खेती करते हैं। रबी-खरीफ में वह कृषि-उद्यानिकी से जुड़ी धान, गेहूं सहित टमाटर, बैंगन, मैथी, धनिया, पत्तागोभी, पालक, ब्रोकली सब्जियां भी उगाते हैं। पहले रूपसिंह 13 वर्षों तक रासायनिक खेती कर रहे थे। इससे उन्हें अधिक लागत एवं मुनाफा कम मिलता था। इसलिए उन्होंने जैविक खेती का प्रशिक्षण लिया। इसके प्रमाणीकरण के लिए मप्र जैविक प्रमाणीकरण संस्थान भोपाल से जैविक पंजीयन भी कराया। परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत कलस्टर में सदस्य के साथ ही लीड रिसोर्स पर्सन का दायित्व भी संभाला। अब वह जैविक खेती के साथ कृषि, वानिकी, पशुपालन भी कर रहे। इससे अब उन्हें बैंक कर्ज लेकर, लंबी-लंबी लाइन में लगकर रासायनिक खाद भी खरीदना नहीं पड़ रहा। अपनी ही बनाई जैविक खाद, जैविक अनाज-सब्जी का उत्पादन कर जैविक उत्पाद बाजार इटारसी में बेच रहे। बीते वर्ष 2020-21 में इन्होंने तीन एकड़ में धान व रबी में गेहूं फसल लगाकर मात्र 1 लाख 5 हजार की लागत से 3 लाख 40 हजार 500 रुपए की आय ली। एक एकड़ में 20 हजार खर्च कर 90 हजार रुपए जैविक सब्जी से कमाए। चार एकड़ में 4 लाख 30 हजार 500 रुपए का जैविक उत्पाद विक्रय कर कुल शुद्ध लाभ 3 लाख 5 हजार रुपए अर्जित किया। किसान रूपसिंह को इसके लिए राज्य स्तरीय सर्वोत्तम कृषक को 50 हजार रुपए का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। ब्राइब्रेंट गुजरात उत्सव में भी श्रेष्ठ कृषक भी जीत कर वर्ष 2018-19 में आस्टे्रलिया व न्यूजीलैंड की विदेश यात्रा भी कर चुके हैं।

बलराम तालाब से बदली खेती की तस्वीर

नर्मदापुरम. जिले के कई किसान बलराम तालाब के माध्यम से खेती करके आत्मनिर्भता की ओर अग्रसर हो रहे हैं। केसला ब्लाक के श्रीराम सेवक यादव बलराम तालाब के जरिए खाद्यान्य तथा मछली पालन करके और अधिक लाभ कमा रहे हैं। यादव बताते है की उन्होंने अपने 7 एकड रकबे में रबी-खरीफ में लगाई जाने वाली फसलों से अच्छी आमदनी प्राप्त की है। उन्होंने अपने खेत में कृषि एवं उद्यानिकी की फसलें लगाई हैं। धान तथा आम के साथ गेहं चना की फसल लगाकर उनमें सिंचाई सुविधा मिलने से पैदावार अच्छी हुई है। किसान ने बताया कि वर्ष 2015 के पहले उनके खेत में सिंचाई के कोई साधन नहीं थे, तब वे केवल रबी मौसम में बिना सिंचाई के फसल की बोआई ही कर पाते थे जबकि खरीफ मौसम में खेत खाली रखना पड़ता था। ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण रोजगार के कोई साधन नहीं थे तथा खेती से भी सालभर में एक ही फसल पैदा कर पाते थे। जिसके कारण घर की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी। अपने खेत में बलराम तालाब का निर्माण कराएं बलराम तालाब से होने वाले लाभ से भी उन्हें अवगत कराया एवं शासन द्वारा अनुदान भी दिए जाने की जानकारी दी गई। यादव ने अपने खेत पर वर्ष 2015-16 में कृषि विभाग की योजना का लाभ लेकर बलराम तालाब बनवाया। बलराम तालाब बनने से कृषक खरीफ मौसम में धान की फसल लगाने लगे जिससे उन्हें 7 एकड़ में लगभग 40 क्विंटल धान पैदा होने लगी तथा धान विक्रय से लगभग 75,000 रूपये की आय होने लगी। वहीं सिंचाई की पर्याप्त सुविधा होने से रबी मौसम में चना के स्थान पर गेहूँ लगाना चालू किया। जिसकी 7 एकड़ में उपज 80 क्विंटल के आसपास होती है और इससे लगभग 1,50,000 रूपये की आय प्राप्त होने लगी। बलराम तालाब से गेहूं की 07 एकड़ फसल में 03 सिंचाई करने के उपरांत ग्रीष्मकाल में पशुपालन में भी उनको सहायता मिल रही है।

जिले में 1119 पशुपालन किसान क्रेडिट कार्ड बने
नर्मदापुरम. जिले में पशुपालन एवं डेयरी विभाग मध्यप्रदेश द्वारा भारत सरकार पशुपालन डेयरी एवं मत्स्य विभाग के विशेष अभियान के तहत पशुओं की कार्यशील पूंजी के लिए पशुपालन किसान क्रेडिट कार्ड विभन्न बैंको के माध्यम से बनाए जा रहे है, जिसमें पशुपालकों को दैनिक खर्च में लगने वाली पूंजी में राहत मिलेगी। योजनांतर्गत अभी तक जिले में 1119 पशुपालन किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जा चुके हैं तथा 6419 पशुपालकों के पशुपालन किसान क्रेडिट कार्ड आवेदन पत्र विभिन्न बैंकों में जमा किये जा चुके हैं। उप संचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग केके देशमुख ने बताया कि जिले के पशुपालकों से कहा है कि वे पशुपालन किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए संबंधित ग्राम पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक या निकटतम पशुचिकित्सा संस्था से संपर्क कर सकते हैं। मुख्य घटक जैसे पशु आहार की कीमत, मजदूरी, पानी-बिजली, पशुचिकित्सा आदि व्यय के लिए 60 हजार रूपए प्रति गाय एवं 72 हजार रूपए प्रति भैंस की वार्षिक सीमा तय है। साख सीमा की अवधि 3 माह है अर्थात प्रत्येक 3 माह के लिए पशुपालकों को प्रति गाय 15 हजार रूपए एवं प्रति भैंस 18 हजार रूपए के मान से दिए जाएंगे। ऋण भुगतान की सीमा एक वर्ष है एवं 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगेगा। यदि पशुपालक साख सीमा की अवधि अर्थात 3 माह में राशि का भुगतान बैंक को कर देता है तो 3 प्रतिशत ब्याज पर छूट दी जावेगी। अगली किस्त 15 हजार रूपए के लिए पात्र हो जाएगा। योजना में 1 लाख 60 हजार रूपए तक कोई भी बैंक गारंटी पशुपालकों को नही देना होगी एवं 3 लाख तक की पशुपालन किसान क्रेडिट कार्ड के लिए बैंक को गारंटी देना होगी।

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