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नर्मदापुरम में महाशीर को जिंदा रखने लोनावाला, भीमापुरम की तर्ज पर बनेगी हैचरी

narmdapuramनर्मदा की रानी बाड़स मछली के संरक्षण-संवर्धन के लिए तवा डेम के पास 2.91 करोड़ से बनेगी बीज उत्पादन इकाई, मिलेगी 3.71 एकड़ जमीन

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नर्मदापुरम में महाशीर को जिंदा रखने लोनावाला, भीमापुरम की तर्ज पर बनेगी हैचरी

नर्मदापुरम में महाशीर को जिंदा रखने लोनावाला, भीमापुरम की तर्ज पर बनेगी हैचरी

देवेंद्र अवधिया
नर्मदापुरम. जिले में नर्मदा-तवा की रानी और टाइगर कहलाने वाली महाशीर यानी बाड़स मछलियों के खत्म हो रहे अस्तित्व को फिर से जिंदा करने के लिए शासन की योजना के तहत मत्स्य विभाग मत्स्य महासंघ के जरिए तवा डैम के पास 3.71 एकड़ सरकारी जमीन पर 2 करोड़ 91 लाख की राशि से हैचरी बनाने जा रहा है। इसे मुंबई के पास की लोनावाला और नैनीताल के पास भीमापुरम में बनी महासंघ मत्स्य बीज उत्पादन इकाई (हैचरी) की तर्ज पर बनाया जाएगा। इसमें महाशीर का संवर्धन होगा और बीज तैयार कर बाद में नर्मदा एवं तवा नदी में डाले जाएंगे। कलेक्टर के माध्यम से जमीन विभाग को ट्रांसफर किए जाने की प्रक्रिया जल्द पूरी होगी। एजेंसी हायर कर हैचरी के साथ ही अधोसंरचना विकास-निर्माण कराए जाएंगे।

जमीन ट्रांसफर की चल रही प्रक्रिया
तवा डैम के पास बनने वाले महाशीर मत्स्य बीज उत्पादन केंद्र यानी हैचरी के निर्माण के लिए जिला कलेक्टे्रट राजस्व विभाग से प्रस्तावित जमीन को सहायक संचालक मत्स्योद्योग विभाग के नाम ट्रांसफर कराने के लिए प्रक्रिया चल रही है। इस पर तय की जाने वाली एजेंसी हैचरी का निर्माण करेगी। निर्माण के बाद इस पर मत्स्य महासंघ काम करेगा।

लोनावाला-भीमावरम की तर्ज पर रहेगी हैचरी
मुंबई के पास लोनावाला व नैनीताल के पास भीमावरम में चल रही सफल हैचरी की तरह ही नर्मदापुरम में भी महाशीर के लिए हैचरी बनाई जाएगी। तवा डैम के पास इसे करीब 2 करोड़ 91 लाख रुपए की राशि खर्च होगी। केंद्र सरकार से राशि की मंजूरी हो गई है। नर्मदापुरम की हैचरी के निर्माण में करीब एक साल का समय लगेगा।

इसलिए खत्म हो रहा महाशीर का अस्तित्व
जिले में बिना बीज उत्पादन एवं संवर्धन के नहीं होने और अत्याधिक मत्स्याखेट के कारण महाशीर मछलियों की संख्या घट गई है। नर्मदा-तवा में पानी में से रेत के अंधाधुंध अवैध खनन, बढ़ते प्रदूषण एवं नदी के किनारों की जैवविविधता को नष्ट कर दिए जाने से इस मछली का अस्तित्व ही खत्म होने की स्थिति में आ गया है।
साथ ही मछलियों के प्रजनन, बीज उत्पादन नहीं होने के कारण भी संकट बढ़ रहा है। इसका असर मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हजारों मछुआरा परिवार भी ेबेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं।

इनका कहना है...
नर्मदा-तवा की प्रमुख मछली महाशीर-बाड़स के संवर्धन के लिए तवा डैम के पास जमीन प्रस्तावित की गई है, जिसमें बड़ी हैचरी यानी बीज उत्पादन एवं विकास केंद्र बनाया जाएगा। इस पर करीब 2.91 करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी। एक साल के भीतर ये हैचरी बनकर तैयार हो जाएगी।
-राजीव श्रीवास्तव, सहायक संचालक मत्स्योद्योग विभाग नर्मदापुरम