
चने की फसल में जड़ सडऩ, बढ़वार रूकी, पैदावार में कमी की आशंका
होशंगाबाद. जिले में मौसम के उतार चढ़ाव, अधिक ठंड पडऩे एवं पानी देने के बाद चने की फसल में जड़ सडऩ रोग लगने से बढ़वार नहीं हो पा रही है। फसल रूखी पीली होकर सूखने लगी है, जिसके कारण पैदावार पर असर पडऩे की आशंका बढऩे से किसानों में चिंता का माहौल है। किसानों ने कृषि विभाग से फसल को बचाने तकनीकी सलाह और उपाय सहित फसल का निरीक्षण करने की मांग की है। बता दें कि इस बार के रबी सीजन में गेहूं के रकबे को कम कर चने के रकबे को बढ़ाया गया है, लेकिन चने की फसल की स्थिति ठीक नहीं होने से डोलरिया, सिवनीमालवा-शिवपुर, बाबई, सोहागपुर पट्टी पर नुकसान होने के आसार बढ़ रहे हैं। अगर आगामी दिनों में तेज धूप नहीं निकली और बादल छाए रहे तो चने की फसल को नुकसान पहुंच सकता है।
पतझड़ व जड़ सडऩ से किसान परेशान
भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री उदयकुमार पांडे सहित अन्य किसानों ने बताया कि ठंड अधिक पडऩे और इस दौरान पानी देने के कारण चने की फसल को नुकसान पहुंच रहा है। बढ़त रुक गई है और पतझड़ व जड़-सडऩ रोग से ग्रसित हो रही है। यह स्थिति पूरे जिले की है। किसानों को फसल को बचाने व बढ़वार के लिए कोई उपाय नहीं जूझ रहे। कृषि विभाग से मांग की गई है कि तत्काल किसानों को ऐसी सलाह व ऐसी दवाइयां उपलब्ध कराई जाए, जिससे फसल पुन: ग्रोथ कर जाए। किसानों ने विभागीय की तकनीकी टीम से फसल के निरीक्षण कराने की भी मांग उठाई है।
फफूंद रोग से भी हो रहा चने को नुकसान
इधर, सिवनीमालवा के किसान नेता संतोष पटवारे ने बताया कि चने की फसल में फफूंद रोग भी दिखाई दे रहा है। फसल ग्रोथ नहीं कर पा रही। पौधे रूखे और सूख रहे हैं। अगर धूप निकलती है तो ही चने की फसल में कुछ सुधार हो सकेगा। इस बार चने की फसल इतनी अच्छी नहीं है, जितनी बोवनी के समय अपेक्षा की गई थी। डोलरिया, सिवनीमालवा क्षेत्र में चने के फसल को नुकसान पहुंच रहा है। किसान दवा का छिड़काव भी कर रहे, लेकिन इसका भी असर नहीं पड़ रहा। फसल की बढ़वार नहीं हो पा रही है।
चने का रकबा बढ़ाया अब पछता रहे किसान
जिले में इस बार के रबी सीजन में मुख्य गेहूं की फसल के रकबे को कम कर किसानों ने चने की फसल के रकबे को बढ़ाया है। कृषि विभाग के आंकड़े देखें तो इस बार चने के कुल लक्षित रकबे 35 हजार हैक्टेयर की तुलना में 47 हजार 86 हैक्टेयर से ज्यादा रकबे में चने की फसल लगाई गई है। बोवनी का प्रतिशत पिछले वर्ष की तुलना में 136.74 प्रतिशत अधिक है। इस बार के सीजन में चने के रकबे में 12 हजार 86 हैक्टेयर की बढ़ोतरी की गई है, लेकिन किसानों को दिनरात की मेहनत के बाद भी फसल साथ नहीं दे रही।
किसानों को दी सम सामयिक सलाह
जिला किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने जिले के किसानों को पाले सहित अन्य कीट प्रकोप से फसलों को बचाव के लिए सम सामयिक सलाह दी है। विभाग के मैदानी अमले को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र के किसानों को पाले से बचाव के लिए आवश्यक सलाह दे ताकि पाला से फसलों का बचाव हो सके। पाले के प्रभाव से पौधों की कोषिकाओं में जल संचार प्रभावित होता है, प्रभावित फसल अथवा पौधे का बहुभाग सूख जाता है, जिससे रोग व कीट का प्रकोप बढ़ जाता है। पाले के प्रभाव से फल व फूल नष्ट हो जाते हैं तथा सब्जी फसल पाला आने से अधिक प्रभावित होती और नष्ट हो जाती है।
फसल को सुरक्षित रखने ये करें उपाय
-फसलों को पाला से बचाव के लिए खेत में सिंचाई करें, खेतों की मेढ़ों पर रात्रि धुंआ अवश्य करें।
-फसलों में जल विलेय सल्फर 80 प्रतिशत की 500 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से पर्णीय छिड़काव करें।
-जल विलेय उर्वरक एनपीके 18:18:18 और एनपीके 00 अनुपात 52 अनुपात 34 की एक किग्रा मात्रा प्रति एकड़ में छिड़काव करें।
इनका कहना है...
जिले में चने की फसल में एक दम से ज्यादा नमी के कारण फंगस का प्रकोप हो सकता है। चने में ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं है। अभी बदली का मौसम है इसलिए कीट प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है। फसलों को सुरक्षित रखना जरूरी है। फसल में कहीं फफूंद या फंगस दिखाई दे तो फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करें। कहीं पानी भरा है खेतों में पानी की निकासी तुरंत कराएं। जैसे ही धूप निकलनी शुरू होगी बढ़वार होने लगेगी। जहां भी इस तरह कि शिकायतें आएंगी निरीक्षण कराकर आवश्यक सलाह दी जाएगी।
-जेआर हेडाऊ, कृषि उप संचालक होशंगाबाद
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Published on:
06 Jan 2022 12:30 pm
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