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राजनीतिक कारणों से उपेक्षा की शिकार हुई आदि शंकराचार्य की तपोस्थली गुरु गुफा

दंड संन्यास की दीक्षा देते हुए विग्रहों की स्थापना होगी नर्मदा किनारे बने आदि शंकराचार्य मंदिर में

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नरसिंहपुर। आदि शंकराचार्य ने जिस गुफा में रहकर तपस्या की थी और अपने गुरु गोविंद पादाचार्य से दंड संन्यास की दीक्षा ग्रहण की थी वह गुफा राजनीतिक कारणों से उपेक्षा का शिकार हो गई। किसी अन्य धर्म की बात होती तो शायद यह स्थान तीर्थ स्थल बन चुका होता पर सनातन धर्म का यह महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल राजनीति के फेर में उलझ गया और शासकीय स्तर पर इसका अपेक्षित विकास नहीं हो सका। यह स्थान नर्मदा नदी के सांकलघाट और ढाना घाट के पास नीमखेड़ा धूमगढ़ में है जिसके सामने पहाड़ी पर द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने आदि गुरु शंकराचार्य के विशाल भव्य मंदिर का निर्माण कराया है। इस मंदिर में आदि गुरु शंकराचार्य और उनके गुरु गोविंद पादाचार्य के दंड संन्यास दीक्षा देते हुए दिव्य विग्रह स्थापित किए जाएंगे। इन विग्रहों का स्वरूप कैसा होगा इसके चित्र पत्रिका को प्राप्त हुए हैं।

भाजपा सरकार ने की गुरु गुफा की उपेक्षा
आदि शंकराचार्य की तपोस्थली गुरु गुफा को लेकर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज और पूर्व सीएम शिवराज सरकार के बीच गहरा मतभेद रहा। शिवराज सिंह चौहान ने ओंकारेश्वर में एक स्थान को आदि शंकराचार्य की तपोस्थली मानकर वहां देश की सबसे बड़ी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित करने की योजना बनाई थी जो परवान नहीं चढ़ सकी। जबकि इधर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज की पहल पर विशाल मंदिर दिव्य विग्रहों की प्राणप्रतिष्ठा के लिए तैयार हो चुका है। भाजपा शासन में गुरु गुफा की उपेक्षा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां रोशनी तक का इंतजाम नहीं है। न ही श्रद्धालुओं के बैठने दर्शन करने व पानी, छाया आदि का इंतजाम किया गया है जबकि यह स्थल तपोभूमि होने के साथ ही एक प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण रमणीक स्थल है ।

उप राष्ट्रपति ने किया था गोविंदवन में पौधरोपण
गुरु गुफा के आसपास विकास के लिए कांग्रेस कार्यकाल में प्रयास किए गए थे। ५ जुलाई १९८९ को यहां एक वृहद पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। तत्कालीन उप राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के सान्निध्य में यहां पौधरोपण किया था। कार्यक्रम का आयोजन तत्कालीन सीएम मोतीलाल बोरा की अध्यक्षता में किया गया था। यह कार्यक्रम अखिल भारतीय आध्यात्मिक उत्थान मंडल की रजत जयंती के अवसर पर आयोजित किया गया था। बहरहाल इस स्थान की देख रेख गोविंदनाथ वन विकास समिति द्वारा की जा रही है।
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