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प्रसव पर भारी पड़ रही पेट चीरने की पीड़ा

रुपयों के लालच में नॉर्मल की जगह कराए जा रहे सीजेरियन प्रसव

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 Cesarean delivery to normalcy in greed of rupees

doctor

अजय खरे। नरसिंहपुर। नरसिंहपुर जिले में जननी की प्रसव पीड़ा पर पेट चीरने की पीड़ा भारी पड़ रही है। सरकारी और निजी अस्पताल में आने वाली हर दूसरी और तीसरी महिला का सीजेरियन ऑपरेशन किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन है कि १२ प्रतिशत से अधिक सीजेरियन न किए जाएं पर यहां ४० से ५० प्रतिशत तक प्रसूताओंं के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। इन हालातों में जहां जननी के परिवार पर २० से ३० हजार रुपए का अनावश्यक आर्थिक भार पड़ रहा है वहीं उसे ऑपरेशन की पीड़ा भी भुगतनी पड़ रही है।

पत्रिका द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार जिले के सरकारी और निजी अस्पतालों में प्रसूताओं को रिस्क बता कर सीजेरियन ऑपरेशन के लिए बाध्य किया जा रहा है। जिले में ६ नर्सिंग होम संचालित हैं जिनमें नॉर्मल कम और सीजेरियन ज्यादा किए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार कामायनी नर्सिंग होम में वर्ष २०१७ में जनवरी से दिसंबर के बीच २८३ प्रसव कराए गए जिनमें ८५ नॉर्मल और १९८ एलएससीएस किए गए। पडारकर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में जनवरी से दिसंबर के बीच ५६४ प्रसव कराए गए जिसमें २५१ नॉर्मल एवं ३१३ एलएससीएस किए गए। इसी तरह रेवाश्री हॉस्पिटल में जनवरी से दिसंबर के बीच १८५ प्रसव कराए गए जिसमें ६८ नॉर्मल एवं ११७ एलएससीएस किए गए। अग्रवाल हॉस्पिटल में जनवरी से दिसंबर के बीच ११९७ प्रसव कराए गए जिसमें ५४२ नॉर्मल एवं ६५५ एलएससीएस किए गए। ये सभी आंकड़े स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन को धता बता रहे हैं।

जिला अस्पताल में भी नहीं गाइडलाइन का पालन
शासकीय जिला अस्पताल में भी प्रसव को लेकर विभाग की गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा। पिछले तीन वर्ष में यहां नार्मल की तुलना में ४० से ५० फीसदी तक ज्यादा सीजेरियन किए गए हैं। वर्ष २०१५-१६ में ३०४३ नार्मल और १२९९ सीजर, वर्ष २०१६-१७ में ३१०३ नॉर्मल और १३१२ सीजर किए गए जबकि वर्ष २०१७-१८ में अभी तक २७३४ नार्मल एवं ९५९ सीजर किए गए हैं।

रिस्क की आड़ में चीरे जा रहे पेट
प्रसूता और उसके परिजनों को नॉर्मल प्रसव में रिस्क बताकर डरा दिया जाता है। जिसके बाद वह सीजर के लिए तैयार हो जाती है। शासकीय अस्पताल में ज्यादातर गरीब और मध्यम वर्ग की प्रसूता भर्ती होती हैं। जानकारी के अनुसार सरकारी अस्पताल में जहां कुछ डॉक्टरों द्वारा सीजर के लिए ५ हजार रुपए लिए जाते हैं वहीं निजी अस्पताल में जबकि निजी अस्पतालों में प्रसूता की आर्थिक स्थिति के अनुसार उसके प्रसव का खर्चा तय कर दिया जाता है और ३० हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं।
वर्जन
नॉर्मल प्रसव में कोई समस्या होने पर ही सीजर किया जाता है। ज्यादातर लोग निजी अस्पतालों में तभी जाते हैं जब उन्हें यह लगता है शासकीय अस्पताल में उनके इलाज की पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं।
डॉ.गिरीश चौरसिया, सीएमएचओ
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वर्जन
स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन है कि १२ प्रतिशत से अधिक सीजर न हों पर नॉर्मल प्रसव में कोई रिस्क होने पर इंडीकेशन के आधार पर डॉक्टर द्वारा मरीज की सहमति के बाद सीजर का निर्णय लिया जाता है।
डॉ.विजय मिश्रा, सिविल सर्जन
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