15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गरीबों के बच्चों को नहीं मिल रहा निजी स्कूलों में पढऩे का लाभ

दिखावा बनी, आरटीई की योजना

2 min read
Google source verification
RTE news

RTE news

पनारी-गाडरवारा। शिक्षा के अधिकार अधिनियम आरटीई एक्ट के तहत सरकार की एक योजना है कि निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को भी शिक्षा मिले। इसके लिए सभी निजी स्कूलों में दर्ज संख्या के हिसाब से लगभग 25 प्रतिशत सीटें गरीब वर्ग के विद्यार्थियों के लिए आरक्षित की जाती है। जिनको उक्त निजी स्कूल में नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है। उनकी फीस प्रतिपूर्ति सरकार देती है। जहां शहरी एवं कस्बाई क्षेत्रों में फि र भी गरीबों के बच्चों को इस योजना का लाभ मिल जाता है। लेकिन कई ग्रामीण अंचलों के बच्चों के लिए शासन उक्त योजना सपना बनी हुई है। वहीं योजना का पालकों में निजी स्कूलों द्वारा ठीक से प्रचार प्रसार न होने से लोगों को इसके आनलाईन प्रवेश के बारे में भी पता नही है। साथ ही अनेक निजी स्कूलों का कहना है कि उनको विगत वर्ष की फीस अभी तक नहीं मिली है। इस वर्ष भी नया सत्र शुरू हो गया है। स्कूलों में प्रवेश प्रारम्भ हो गए हैं। जब बीपीएल कार्डधारक गरीब लोग किसी निजी स्कूल में अपने बच्चे का दाखिला कराने जाते है। तो स्कूल वाले कहते है कि बच्चे की फीस जमा करो, यह योजना अभी चालू नही है आनलाईन भी लिंक बन्द है। अगर किसी को दाखिला कराना है तो उसको रुपए देने होंगे तभी प्रवेश होगा। क्योंकि निजी स्कूल में दाखिले की एक तारीख निश्चित है उसके बाद एडमीशन नहीं होगा। ग्रामीणों का कहना है अब अगर कोई व्यक्ति अपने बच्चे का दाखिला इस योजना के माध्यम से कराना चाहे तो बह क्या करे। लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या मतलब है इस सरकारी योजना का जिसका लाभ पत्र व्यक्ति को ही न मिले। गरीबों को इस योजना की ज्यादा जानकारी भी नही है। इसी कड़ी में बीते दिवस पनारी, नारगी के कुछ लोगों रामकुमार श्रीवास, सन्तोष कहार, मनोज प्रजापति, राजू मेहरा, दिनेश ठाकुर आदि ने अपने बच्चों के एडमीशन के लिए निजी स्कूलों में संपर्क किया तो स्कूल प्रबंधन ने बताया कि इसका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होता है लेकिन अभी लिंक बंद है। इस पर ग्रामीणों का कहना है कि उन्हे पूर्व से इसकी जानकारी नहीं थी। लोगों का कहना है यदि कोई योजना चलाकर गरीबों को लाभ पहुंचाना है तो इसका प्रचार प्रसार भी किया जाए। वहीं उन्होंने योजना के तहत प्रवेश न हो पाने की दशा में उनके बच्चों के भविष्य के प्रति सवाल उठाते हुए कहा है कि इसका जिम्मेदार कौन है।