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12 साल में जो काम नहीं हुआ उसे कलेक्टर रोहित सिंह ने 36 घंटे में कर दिखाया

नरसिंह तालाब में पानी भरने और सौंदर्यीकरण पर पूर्व में खर्च हो चुके थे 65 लाख, रोहित सिंह ने बिना पैसे खर्च किए कर दिया यह काम

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नरसिंहपुर. इच्छा शक्ति प्रबल हो और काम करने का जज्बा हो तो वे काम भी कुछ घंटों में संभव हो जाते हैं जो दशकों में पूरे नहीं हो पाते। इसकी एक मिसाल पेश की गई है यहां के प्रसिद्ध धार्मिक एवं ऐतिहासिक नरसिंह मंदिर के नरसिंह तालाब में पानी भरने और अतिक्रमण हटा कर इसके सौंदर्यीकरण के बड़े काम में। मंदिर का तालाब खुद बोलता प्रतीत हो रहा है कि जिसके लिए उसने 12 साल इंतजार किया वह अब पूरा हो रहा है। खास बात यह है कि इस काम को करने में फिलहाल एक रुपए भी खर्च नहीं हुआ और प्रशासनिक मशीनरी व जन सहयोग से इसे पूरा किया जा रहा है जाट राजाओं द्वारा बनाया गया भगवान नरसिंह मंदिर यहां की धार्मिक, ऐतिहासिक धरोहर है। भगवान नरसिंह के नाम पर ही इस शहर का नाम नरसिंहपुर है। भगवान नरसिंह इस नगर के अधिष्ठाता हैं। रखरखाव के अभाव में एक ओर जहां मंदिर काफी क्षतिग्रस्त हो गया था तो दूसरी ओर अतिक्रमण की वजह से तालाब का अस्तित्व भी सिमटता जा रहा था। पिछले एक दशक में मंदिर के रखरखाव तालाब के गहरीकरण इसमें जल भराव और सौंदर्यीकरण के नाम पर 65 लाख रुपए से ज्यादा की राशि का खर्च दिखाया जा चुका है । पर न तो इसे सुंदर बनाया जा सका न तालाब का गहरीकरण और न जलभराव हुआ न ही अतिक्रमण हटाए जा सके।
इस वर्ष जब 14 मई को नगर गौरव दिवस के साथ ही भगवान नरसिंह जयंती मनाने की रूपरेखा तैयार की गई तो कलेक्टर रोहित सिंह ने भगवान नरसिंह के सामने तालाब में नर्मदा जल भरने, अतिक्रमण हटाने और इसके सौंदर्यीकरण का संकल्प लिया। 7 मई को खुद ही नहर से लेकर तालाब तक पैदल चल कर निरीक्षण किया और नहर विभाग व नगर पालिका को नहर का पानी तालाब में पहुंचाने का काम पूरा करने का निर्देश दिया। युद्ध स्तर किए काम के परिणामस्वरूप 36 घंटे में नहर से नर्मदा का पानी नरङ्क्षसह तालाब में पहुंच गया। दूसरी ओर एसडीएम व पुलिस प्रशासन को तालाब की भूमि से अतिक्रमण हटाने को कहा और खुद मौके पर खड़े हो गए। परिणामस्वरूप दशकों से तालाब के अतिक्रमण जो सिर ताने खड़े थे वे एक एक कर धराशाई कर दिए गए और तालाब अपने संपूर्ण स्वरूप में सामने आ गया। हैवी अर्थमूवर मशीनों से तालाब का गहरीकरण कर उसकी पार बनाने के बाद जब उसमें जल भराव हुआ तो मानो वह मंदिर का दर्पण बन गया और नरङ्क्षसह मंदिर को अपना प्रतिबिंब उसमें साफ नजर आने लगा। तालाब में अब फव्वारे लग गए हैं और सौंदर्यीकरण का काम तेजी से चल रहा है। तालाब के शेष क्षेत्र में इन दिनों श्रमदान अभियान चलाया जा रहा है ताकि लोग अपनी संस्कृति और अपनी माटी से जुड़ सकें। बड़ी संख्या में लोग यहां सुबह शाम इसे देखने आ रहे हैं और सेल्फी ले रहे हैं।
पत्रिका ने उठाया था यह मामला
तालाब की दुर्दशा और अतिक्रमण और इसमें पानी न भरने को मामला पत्रिका ने उठाया था। अपनी खबरों से प्रशासन व आमजन का ध्यान इस ओर आकर्षित किया था।

10 जून 2011 को बुलाई थी निविदा
बरगी नहर से आरसीसी पाइप लाइन डाल कर नरसिंह तालाब में पानी भरने के लिए नगर पालिका ने 10 जून 2011 को निविदा आमंत्रित की थी। तालाब सौंदर्यीकरण के लिए ५१ लाख रुपए और आरसीसी पाइपलाइन के लिए 14.85 लाख रुपए खर्च किए जा चुके थे। इस तरह से 65 लाख रुपए का खर्च दिखाया जा चुका था। सुरगी नहर का पानी तालाब में छोड़े जाने को लेकर रानी अवंती बाई लोधी सागर डिसनेट सम्भाग नरसिंहपुर ने मप्र सिंचाई नियम 1974 की धारा 40 के अनुसार नियम कायदों का हवाला देकर पानी छोडऩे से मना कर दिया था। जबकि नहर का पानी एक निजी व्यक्ति के खेत में छोड़ा जा रहा था।
वर्जन
इस बड़े काम का श्रेय यहां की जनता का है जिसने हमारे साथ खड़े होकर अपना योगदान दिया। नरसिंह मंदिर एवं तालाब जिले की पहचान एवं सम्पदा है। इसे सुरक्षित एवं संरक्षित करने की जिम्मेदारी यहां के हर नागरिक की है। नरसिंह तालाब के सौंदर्यीकरण एवं स्वच्छता के लिए सभी संगठन, मातृ शक्ति, युवा और समाज के सभी वर्ग जुडेेंं।
रोहित सिंह कलेक्टर
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वर्जन
नरसिंह तालाब जिले की ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहर है, इसे साफ स्वच्छ बनाए रखने व इसका अस्तित्व सदैव बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सबकी है। सौंदर्यीकरण के लिए लोग श्रमदान भी करें। इस कार्य से भावनात्मक जुड़ाव होगा।
विपुल श्रीवास्तव, एसपी
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