
चंबल के इस गांव में होली खेलने का है अनोखा तरीका, हर कोई है हैरान
करेली. रंगों के पर्व होली के लिए बाजार सज गए हैं। रंग उत्सव के लिए इस बार बाजार में काफ ी कुछ नया है। पिचकारी में तकनीक का रंग पहले की तुलना में ज्यादा दिख रहा है। बाजार में बच्चों की पसंद को देखते हुए नई तकनीक से लैस, नई डिजाइन और मुद्राओं वाली पिचकारियों के साथ मुखौटे और बालों की रंग बिरंगी बिग भी उपलब्ध हैं। गौरतलब है होली पर सबसे अधिक खरीदी पिचकारियों और रंगों की होती है। इसे देखते हुए कॉर्पोरेट कम्पनियों ने बच्चों को आकर्षित करने वाली पिचकारियां बाजार में उतारी हैं। कार्टून और सीरियल के पात्रों वाली पिचकारियों के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक पिचकारी भी बाजार में उपलब्ध है। बाजार में सिंथेटिक रंग गुलाल के साथ ही एक दर्जन कम्पनियों ने हर्बल रंग और गुलाल भी उतारे हैं। इनकी कीमत साधारण रंग और गुलाल से ज्यादा है। शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण इलाकों के ग्राहक भी इनकी मांग कर रहे हैं। पहले होली के बाजार पर भी चीन का कब्जा था। लगभग 80 फ ीसदी पिचकारियां चीनी होती थीं। अब इनकी संख्या 30 फ ीसदी रह गई है। डीलर भी देश की कंपनियों में बना माल ला रहे हैं। ग्राहक भी भारत में बनी पिचकारियों की मांग करते हैं।
Published on:
08 Mar 2020 10:30 pm
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