16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

विदेशों तक है यहां के गुड़ की डिमांड, वैज्ञानिक खंगाल रहे गन्ने और गुड़ का इतिहास

गन्ने और गुड़ के जीआई टैङ्क्षगग के लिए यूनिक पैरामीटर की तालाश की जा रही है, जिसमें कृषि विभाग के आला अफसर से लेकर वैज्ञानिक तक जुटे हैं।

2 min read
Google source verification
ganna.jpg

नरसिंहपुर. मध्यप्रदेश का नरसिंहपुर जिला गन्ने और गुड़ के उत्पादन के लिए जाना जाता है, यहां के गुड़ की डिमांड विदेशों तक रहती है, यही कारण है कि गन्ने और गुड़ के जीआई टैङ्क्षगग के लिए यूनिक पैरामीटर की तालाश की जा रही है, जिसमें कृषि विभाग के आला अफसर से लेकर वैज्ञानिक तक जुटे हैं।

जिले के साथ प्रदेश और देश विदेश में अपने स्वाद की पहचान बना चुके गुड़ की जियोग्राफिकल आईडेंटिटी यानि जीआई टैगिंग के रास्ते में आने वाली अड़चनें दूर होती नहीं दिख रही है। जिले भर में कई सालों से हजारों हेक्टेयर में हो रहे गन्ना उत्पादन और लाखों क्विंटल गुड़ के निर्माण के बावजूद इसकी जीआई टैंगिंग के लिए सबसे जरूरी माने जाने वाले यूनिक पैरामीटर अर्थात अद्तिीय मानक (जो नरसिंहपुर जिले में गु़ड़ के निर्माण और गन्ने की किस्म की स्थानीयता को प्रमाणिक सिद्ध कर सकें) की तलाश की जा रही है। इस काम में कृषि विभाग जोर शोर से जुटा है। इसके लिए जिले के किसानों से भी जानकारी एकत्रित की जा रही है।

प्रदेश में दूसरे स्थान पर है नरसिंहपुर

गौरतलब है जिले में हर साल करीब 70 हजार हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है। यहां गन्ने की खेती से लगभग हर दूसरा किसान जुड़ा हुआ है नकद फसल होने के कारण यह पिछले कई सालों से किसानों की पहली पसंद बनी है। जिसके कारण इसे किसानों की अर्थ व्यवस्था का आधार भी माना जाता है।

गन्ना उत्पादन के मामले में नरसिंहपुर जिला प्रदेश में दूसरे स्थान पर है। गुड़ बाजारों के माध्यम से शासन को हर साल करोड़ों का राजस्व सिर्फ गुड़ से ही प्राप्त होता है। एक जानकारी के अनुसार गुड़ के लिए प्रसिद्ध जिले की करेली कृषि उपज मंडी ने ही मात्र गुड़ से ही पिछले पांच सालों में दस करोड़ रूपए से अधिक राजस्व मिल चुका है। इसके अलावा नरसिंहपुर, गाडरवारा, गोटेगांव सहित जिले में लगने वाले अन्य गुड़ बाजारों से राजस्व की प्राप्ति होती है। जिले में बनने वाले गुड़ की डिमांड विदेशों तक है। हाल ही में जिले में बनने वाले गुड़ की क्वालिटी , एकरूपता रखने के लिए नर्मदा नेचुरल के नाम से ब्रांडिग शुरू की गई है। इसके अलावा इसकी पैकेजिंग और साइज को लेकर भी नए नए प्रयोग किए जा रहे हैं।

यह भी पढ़ेः रंगे हाथों पकड़ाई महिला पुलिस इंस्पेक्टर और आरक्षक, थाने में मचा बवाल

गुड़ की जीआई टैगिंग के लिए इसका पुराना लिटरेचर सर्च किया जा रहा है। इसके लिए सबसे अनिवार्य फैक्टर वह होता है जो इसकी स्थानीयता और प्राचीनता के साथ अन्य जगहों पर बनने वाले गुड़ से अलग करता हो। जिससे यह प्रमाणित हो सके कि यह उत्पाद पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही जगह प्राप्त होता है। यूनिक पैरामीटर वह तथ्य है जो उत्पाद को सबसे अलग और अपने आप में अद्वितीय बनाता है। हम इसके लिए प्रयास कर रहें।

-आर एन पटैल,एडीए कृषि विभाग