विश्व दिव्यांग दिवस पर दिव्यांगों ने लगाई लंबी दौड़, भजन, गीत और चित्रों में घोले प्रतिभा के रंग
विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर दिव्यांगों ने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया
नरसिंहपुर. विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर दिव्यांगों ने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। स्थानीय हॉकी स्टेडियम में दिव्यांगजनों के लिए जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला स्तरीय कार्यक्रम में जिले भर से आये दिव्यांग बच्चों ने रंगोली, गीत, संगीत, पेटिंग आदि प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। गायन प्रतियोगिता में आयुष महोगिया प्रथम, सुरेन्द्र भट्ट द्वितीय, अजय चौहान तृतीय, नृत्य प्रतियोगिता में पारूल मेहरा प्रथम, अमित कहार द्वितीय, तमन्ना बेहना तृतीय रहे। बालिका दौड़ 6 से 14 वर्ष में भावना भोंगिया प्रथम, दुर्गा लडिय़ा द्वितीय व संजना जाटव तृतीय स्थान पर रहीं। बालक दौड़ 6 से 14 वर्ष में विकास पटैल प्रथम, उत्तम मल्लाह द्वितीय, शुभम बाथरे, विवेक कुशवाहा तृतीय, रंगोली प्रतियोगिता में निशा पटैल प्रथम, भावना मोगिया द्वितीय, सरस्वती कुशवाहा व रक्षा ठाकुर तृतीय रहे। चित्रकला प्रतियोगिता में बालिका नीतू मालवीय प्रथम, दीपाली गौंड़ द्वितीय व अपूर्वा ठाकुर तृतीय स्थान पर रहीं। इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एडीएम मनोज ठाकुर ने कहा कि दिव्यांगजनों में प्रकृति प्रदत्त प्रतिभा होती है, जरूरत है उसे पहचानने एवं उन्हें समाज द्वारा अवसर प्रदान करने की। शासन द्वारा दिव्यांगजनों हेतु शिक्षा, स्वास्थ्य, छात्रावास,पेंशन योजनायें संचालित की जा रही हैं। समाज एवं हम सबकी जिम्मेदारी है कि उन्हें समय पर उनका लाभ मिले। एडीजे एसके गुप्ता ने कहा कि उन्हें सहानुभूति नहीं अन्य बच्चों की तरह आगे बढऩे के अवसर हम सब को उपलब्ध कराना चाहिये। आज दिव्यांगों ने खेल, शिक्षा, संगीत आदि क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, जो हम सबके लिए प्रेरणादायक है। कार्यक्रम में जिला पंचायत के सीईओ कमलेश भार्गव, उप संचालक सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण अंजना त्रिपाठी, कला पथिक दल के खोजपति यादव व माधव शेंद्रे एवं अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे।
कचोटता रहा बैनर
प्रतियोगिता का आयोजन सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा किया गया था। मंच पर जो बैनर लगाया गया था उसमें विश्व विकलांग दिवस का उपयोग किया गया था। अब जबकि सभी जगह विशेष बच्चों के लिए दिव्यांग शब्द का उपयोग किया जाने लगा है ऐसे में विकलांग शब्द लोगों को कचोटता रहा।
——————–