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अविश्वास प्रस्ताव पर अमित शाह का करारा जवाब ; दो घंटे 6 मिनट के भाषण में 1 घंटा 14 मिनट मणिपुर के हिस्से

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चल रही चर्चा के दूसरे दिन लोकसभा में दो घंटे छह मिनट लम्बा भाषण दिया। नस्लीय हिंसा को शर्मनाक बता कांग्रेस पर खूब बरसे अमित शाह।

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दो घंटे 6 मिनट के भाषण में 1 घंटा 14 मिनट मणिपुर के हिस्से

दो घंटे 6 मिनट के भाषण में 1 घंटा 14 मिनट मणिपुर के हिस्से

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चल रही चर्चा के दूसरे दिन बुधवार को लोकसभा में दो घंटे छह मिनट लम्बा भाषण दिया। उनके भाषण का एक घंटा बीस मिनट तो मोदी सरकार के नौ साल के शासन बनाम पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों के बही खाते का जोड़-बाकी बताने में बीता तो मणिपुर पर लगभग एक घंटा 14 मिनट की चर्चा में भी उन्होंने कांग्रेस की सरकारों पर उत्तर-पूर्व में हुई नस्लीय हिंसा की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे पहले कभी न तो प्रधानमंत्री कभी हिंसा प्रभावित इलाकों में गए और न ही सदन में जवाब दिया। ऐसे में पीएम से मणिपुर की घटनाओं पर जवाब की विपक्ष की मांग उचित नहीं है।

शाह ने शाम पांच बजे बोलना शुरू किया और शाम सात बजकर 06 मिनट पर उनका भाषण खत्म हुआ। गृह मंत्री ने लगातार एक घंटा बीस मिनट तक मोदी सरकार की एक एक उपलब्धि को गिनाते हुए कांग्रेस सरकारों के कामकाज से तुलना की। उन्होंने कहा कि विपक्ष को भले ही पीएम मोदी पर अविश्वास हो, लेकिन देश की जनता को मोदी पर पूरा भरोसा है। इसके बाद वे मणिपुर के मुद्दे पर आए। उन्होंने मणिपुर में 3 मई से शुरू हुई हिंसक घटनाओं को शर्मनाक बताते हुए कहा कि इससे भी ज्यादा शर्मनाक इन घटनाओं का राजनीतिकरण है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में हुई घटनाएं परिस्थितिजन्य हैं। इन्हें राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंसा का कारण 29 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट के मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति घोषित किए जाने के फैसले के बाद उपजी असुरक्षा की भावना है।

राहुल ने की राजनीति

शाह ने कहा कि राहुल गांधी हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में गए। उनकी संवेदनाएं हैं, लेकिन उनका इस यात्रा के पीछे राजनीति मकसद था। राहुल ने मणिपुर पहुंच कर चूराचंद्रपुर जाने की बात कही। पुलिस ने उन्हें हेलिकॉप्टर से जाने का अनुरोध किया, लेकिन वे सड़क मार्ग से जाने के लिए अड़े रहे। अगले दिन वे हवाई मार्ग से जाने को तैयार हुए, ये राजनीति नहीं तो क्या है।

सरकार सोती नहीं रही

उन्होंने मणिपुर में शांति बहाली के लिए सरकार की अरुचि के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि इससे पहले भी मणिपुर या उत्तर पूर्व में नस्लीय हिंसा हुई है, लेकिन कोई भी मंत्री वहां नहीं गया। गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय 23 दिन वहां रहे और वे खुद तीन दिन तीन रात मणिपुर में रुके। उन्होंने सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की विस्तार से जानकारी दी और कहा कि केंद्र ने मणिपुर सरकार के साथ 16 वीडियो कॉन्फ्रेंस की। मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक बदलकर केंद्र से भेजे गए। लगभग 36 हजार केंद्रीय बल तैनात हैं और हिंसा के सम्बन्ध में 1100 एफआईआर दर्ज कर 14800 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है।