
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में ABVP ने जीते छात्र चुनाव (फोटो- एबीवीपी एक्स पोस्ट)
दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल करने के बाद अब ABVP ने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनावों में भी जीत का परचम लहरा दिया है। ABVP ने इन चुनावों में शानदार प्रदर्शन करते हुए सभी पदों पर जीत हासिल की है। ABVP के उम्मीदवारों ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव, खेल सचिव और सांस्कृतिक सचिव समेत सभी प्रमुख पदों पर अपना दबदबा बनाए रखा और अन्य दलों के उम्मीदवारों को बूरी हार दी। बड़े पदों के साथ साथ अन्य छोटे पदों पर भी ABVP ने बहुमत हासिल किया है, जबकि NSUI को इन चुनावों में NOTA से भी कम वोट मिले है।
शुक्रवार को प्रमुख पदाधिकारी पदों के लिए चुनावों का आयोजन किया गया था। इसमें 169 उम्मीदवारों इन पदों के लिए चुनावी मैदान में उतरे थे। यह उम्मीदवार राष्ट्रपति पद की 8, उपाध्यक्ष की 5, महासचिव की 6, संयुक्त सचिव की 5, सांस्कृतिक सचिव की 4, और खेल सचिव की 4 मुख्य सीटों पर चुनाव लड़ रहे थे। यह उम्मीदवार स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI), अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन (DSU) के अलावा अन्य कई छात्र संगठनों से जुड़े थे। साथ ही इसमें कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी शामिल थे।
चुनावों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और स्टूडेंट्स फॉर लेबर डेवलपमेंट के गठबंधन के उम्मीदवार, शिवा पालेपु ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है। इसके अलावा देबेंद्र ने उपाध्यक्ष, श्रुति प्रिया ने महासचिव, सौरभ शुक्ला ने संयुक्त सचिव, वीनस ने सांस्कृतिक सचिव और जवाला ने खेल सचिव का पद अपने नाम किया। लगातार एक के बाद देश की यूनिवर्सिटी में ABVP की इस जीत ने फिर से उसकी संगठनात्मक ताकत और छात्रों के बीच लोकप्रियता का परिचय दे दिया है।
बता दे कि पिछले एक साल में देश के के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों में जीत हासिल की है। इसमें पटना विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालय, गुवाहाटी विश्वविद्यालय और उत्तराखंड के कई विश्वविद्यालय शामिल हैं। हाल ही नेपाल में हुए जेन-जी आंदोलन के बाद जहां विपक्ष का कहना था कि भारत में भी इसी तरह जेन-जी सरकार के विरोध में है वहीं लगातार एक के बाद एबीवीपी की जीत ने सरकार के इस दावें को मजबूती दी है कि देश का युवा उनके साथ है।
हैदराबाद यूनिवर्सिटी लंबे समय से वामपंथी और दलित छात्र संगठनों के प्रभाव में मानी गई है, ऐसे में यहां आरएसएस विचारधारा वाले एबीवीपी संगठन का जितना वाकई एक बड़े बदलाव का प्रतिक है। इस ऐतिहासिक चुनाव में एबीवीपी ने न सिर्फ बड़े पदों बल्कि काउंसलर और बोर्ड सदस्य जैसे पदों को भी नहीं छोड़ा और उन पर भी बहुमत से जीत हासिल की है। वहीं कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई को इन चुनावों में NOTA से भी कम वोट मिले है। हालांकि एनएसयूआई का हैदराबाद यूनिवर्सिटी में इतना मजबूत वर्चस्व नहीं रहा है, लेकिन वह हमेशा से वामपंथी दलों के साथ मिल कर चुनावों के समीकरण प्रभावित करती रही है।
Published on:
21 Sept 2025 02:16 pm
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