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बर्खास्त RPF कांस्टेबल पर ‘2008 का बदला’ लेने का सनसनीखेज आरोप, चश्मदीद गवाह ने खोला राज

31 जुलाई 2023 को जयपुर-मुंबई ट्रेन में आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह चौधरी ने धार्मिक नफरत के चलते चार लोगों की हत्या की। अदालत में गवाहों ने बताया कि आरोपी ने गोलीबारी के दौरान चिल्लाया, “ये 2008 का बदला है।”

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भारत

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Devika Chatraj

Nov 11, 2025

बर्खास्त RPF कांस्टेबल चेतन सिंह चौधरी (X-@ajshekha)

जयपुर-मुंबई पैसेंजर ट्रेन में 31 जुलाई 2023 को हुई क्रूर फायरिंग की घटना ने एक बार फिर सनसनी फैला दी है। मुंबई की विशेष अदालत में सोमवार को पेश एक चश्मदीद गवाह ने बर्खास्त आरपीएफ (RPF) कांस्टेबल चेतनसिंह चौधरी के खिलाफ ऐसा खुलासा किया, जो धार्मिक घृणा और 2008 के मुंबई हमलों से जुड़ा प्रतीत होता है। 32 वर्षीय गवाह ने बताया कि उसने आरोपी को एक यात्री को गोली मारने के बाद चिल्लाते सुना, "ये 2008 का बदला है।"

घटना की खौफनाक सुबह

गवाह ने अदालत में अपनी गवाही के दौरान घटना का वर्णन किया। वह जुलाई 2023 में अपनी मातृभूमि से मुंबई लौट रहे थे और 30 जुलाई को जयपुर-मुंबई ट्रेन के एस-6 कोच में सवार हुए थे। रात करीब 12:30 बजे डिनर के बाद सो गए थे। सुबह लगभग 5:30 बजे एक तेज धमाके की आवाज से जागे। "मैंने देखा कि एक दाढ़ी वाला व्यक्ति खून के पोखर में लेटा हुआ था और एक आरपीएफ जवान राइफल लिये उसके पास खड़ा था।

धार्मिक नफरत से जुड़ा हमला

डर के मारे गवाह ने अपना सामान समेटा और कोच के दूसरे सिरे की ओर भागे। इसी दौरान उन्होंने आरोपी चेतनसिंह चौधरी को कहते सुना, "ये 2008 का बदला है।" गवाह के अनुसार, यह बयान स्पष्ट रूप से धार्मिक नफरत से प्रेरित था, जो 2008 के मुंबई आतंकी हमलों (26/11) का जिक्र करता प्रतीत होता है, जिसमें पाकिस्तानी आतंकियों ने कई निर्दोषों की हत्या की थी।

चेतनसिंह पर गंभीर आरोप

चेतनसिंह चौधरी पर अपने वरिष्ठ सहकर्मी सहायक सब-इंस्पेक्टर टीकाराम मीणा और तीन मुस्लिम यात्रियों असगर अली अब्बास, अब्दुल कादर भानपुरवाला और सैयद सैफुद्दीन की हत्या का आरोप है। सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) की चार्जशीट के मुताबिक, चौधरी ने ट्रेन के बी-5 और बी-6 कोच में सबसे पहले मीणा को गोली मारी। मीणा ने बीमारी का हवाला देकर ट्रेन से उतरने की गुजारिश की थी, लेकिन चौधरी ने इंकार कर दिया। इसके बाद यात्रियों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई।

चार्जशीट में और भी महत्वपूर्ण बयान

चार्जशीट में एक अन्य महत्वपूर्ण बयान जीएसटी अधिकारी का है, जिसने भी चौधरी को "ये 2008 का बदला है" कहते सुना। साथ ही, आरोपी के साथ एस्कॉर्ट ड्यूटी पर तैनात आरपीएफ कांस्टेबल नरेंद्र कुमार परमार ने पुलिस को बताया कि चौधरी धार्मिक कट्टरता से प्रेरित था। परमार ने खुद दो हत्याओं का चश्मदीद होना स्वीकार किया।

क्या था पूरा मामला?

यह खौफनाक घटना महाराष्ट्र के धनंजय नगर के पास हुई थी। चौधरी ने अपनी सर्विस राइफल से अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें चार लोग मारे गए। हमले के तुरंत बाद चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया। जीआरपी ने चार्जशीट में आरोपी की मानसिक स्थिरता पर भी सवाल उठाए हैं, लेकिन गवाहों के बयानों से साफ है कि यह सुनियोजित धार्मिक घृणा से प्रेरित अपराध था।

अदालत में चल रही सुनवाई

मुंबई की विशेष अदालत में सुनवाई तेजी से चल रही है। अभियोजन पक्ष कई चश्मदीद गवाहों, फॉरेंसिक सबूतों और वीडियो रिकॉर्डिंग्स के आधार पर चौधरी को दोषी साबित करने का प्रयास कर रहा है। बचाव पक्ष ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। इस मामले ने रेल यात्रियों की सुरक्षा, आरपीएफ की आंतरिक जांच और धार्मिक सद्भाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।