
,,,,
अनुराग मिश्रा। नई दिल्ली/अहमदाबाद: अखिल भारतीय अपराध विज्ञान सम्मेलन का आयोजन उस वक्त हो रहा है जब भारत का क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम एक नए युग में प्रवेश कर रहा है। भारत क्रिमिनल जस्टिस के 150 साल पुराने कानूनों को खत्म कर नए कानूनों को इंट्रोड्यूस कर चुका है और इन तीनों कानूनों में प्रमुख मुद्दों में से 2 इसी सम्मेलन से जुड़े हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुजरात के गांधीनगर में National Forensic Science University (NFSU) के 5वें अंतर्राष्ट्रीय एवं 44वें अखिल भारतीय अपराध विज्ञान सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
शाह ने मुद्दों का उल्लेख करते हुए कहा कि पहला, समय पर न्याय दिलाना और दूसरा, सज़ा की दर को बढ़ाकर अपराधों पर लगाम लगाना। उन्होंने कहा कि तीनों कानूनों में इन दोनों मुद्दों को तकनीक के साथ बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में ये निर्णय लिया गया है कि 7 साल या अधिक सज़ा वाले अपराधों के क्राइम सीन पर फॉरेंसिक साइंस ऑफिसर की विज़िट अनिवार्य होगी, जिससे जांच में, न्यायधीशों और प्रॉसीक्यूशन को भी सरलता होगी और इससे सज़ा की दर को बढ़ाने में भी सफलता मिलेगी। शाह ने कहा कि 5 सालों के बाद भारत का क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम विश्व में आधुनिकतम होगा।
नई व्यवस्था में 9000 साइंटिफिक ऑफ़िसर और फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट मिलेंगे
5 सालों में ही 3 बड़े काम किए
1. 40 साल बाद मोदी सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आई जो पूर्णतया भारतीय शिक्षा के आधार पर बनी है, पूरे विश्व के लिए खुली है और हमारे बच्चों को वैश्विक मंच भी प्रदान करेगी।
2. NFSU का गुजरात में जो आधार 2003 में रखा था, उसका विस्तार कर राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाने का काम किया।
3. 150 सालों के बाद क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में परिवर्तन कर हमने तीनों कानूनों को नया बनाया है।
शाह ने कहा कि इन 3 परिवर्तनों को एकसाथ देखने पर एजुकेशन, फॉरेंसिक साइंस और क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में आमूलचूल परिवर्तन हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ऐसी व्यवस्था की गई है कि 5 साल बाद हर साल देश को 9 हज़ार से अधिक साइंटिफिक ऑफिसर्स और फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट्स मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के सामने 4 चुनौतियां हैं- बेसिक पुलिसिंग के प्रिंसिपल के साथ कंप्रोमाइज़ किए बिना पूरी व्यवस्था में तकनीक को स्वीकार कर सबसे आधुनिक पुलिस व्यवस्था बनना, तकनीक के उपयोग से ह्यूमन प्रेज़ेस के महत्व को कम ना होने देना, हाइब्रिड औऱ मल्टीडायमेंशनल खतरों को पहचानकर हमारे सिस्टम को इनसे बचाने के लिए नेटवर्क तैयार करना और क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को विश्व का सबसे आधुनिक क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम बनाना और इसमें फॉरेंसिंक के अडॉप्शन को साहसिक स्वभाव बनाना। हम इन 4 चुनौतियों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्याय मिलने की प्रक्रिया में इसके available, accessible और affordable होने जैसी समस्याएं हैं और इन तीनों का उपाय तकनीक में समाहित है।
शाह ने कहा कि इस यूनिवर्सिटी के 9 और कैंपस 1 साल मॆ शुरू हो जाएंगे और इस प्रकार देश के हर दूसरे राज्य में एक कैंपस उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि युवा छात्रों को वन डेटा वन एंट्री के सिद्धांत पर काम करना चाहिए।
युवाओं से है बहुत उम्मीद
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित य़ुवाओं से कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को हर क्षेत्र में विश्व में पहले स्थान पर पहुंचाने की कल्पना की है, इसमें फॉरेंसिक साइंस भी शामिल है और ये काम यभी युवाओं को करना है। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्थाएं बनने के बाद निश्चित रूप से भारत फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में विश्व में प्रथम स्थान पर होगा।
Updated on:
23 Jan 2024 08:15 pm
Published on:
23 Jan 2024 08:14 pm
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
