
सुप्रीम कोर्ट ने वंतारा को क्लीन चिट दी (प्रतिकात्मक तस्वीर)
रिलांयस फाउंडेशन द्वारा संचालित वंतारा वाइल्डलाइफ फैसिलिटी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने जानवरों की अवैध खरीद-बिक्री और उन्हें अवैध रूप से बंद करके रखने के मामले में वंतारा को क्लीन चिट दे दी है। कोर्ट का कहना है कि जामनगर स्थित इस वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में जानवरों की खरीद-बिक्री नियमों के दायर में ही हुई है। कोल्हापुर के जैन मठ की हथिनी माधुरी को वंतारा ले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर दो पब्लिक इंटरेस्ट पिटीशन (पीआईएल) दायर की गई थी। यह याचिका वकील सीआर जया सुकीन और देव शर्मा नामक एक व्यक्ति ने दायर की थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति प्रसन्न बी वराले की पीठ ने 26 अगस्त को एक विशेष जांच टीम का गठन करने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर की अध्यक्षता में बनी इस टीम ने 12 सितंबर को लिफाफे और पेन ड्राइव के जरिए सुप्रीम कोर्ट को अपनी जांच की रिपोर्ट पेश कर दी थी।
इस रिपोर्ट में वंतारा को क्लीन चिट दी गई थी जिसके आधार पर अब सुप्रीम कोर्ट ने भी वंतारा को क्लीन चिट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जामनगर स्थित वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में जानवरों की खरीद-बिक्री नियमों के दायरे में हुई है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि, अब इस मामले को बार-बार उठाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। स्वतंत्र समिति ने जांच की है और हम उसी पर भरोसा करेंगे। हथिनी माधुरी के मामले पर कोर्ट ने बात करते हुए कहा कि, अगर हाथी को वंतारा भेजे जाने की प्रक्रिया सही है तो उसे स्थानांतरित किया जाना गलत नहीं। उन्होंने कहा, अगर वंतारा वन विभाग से हाथियों को अपने नियंत्रण में लेता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं, बशर्ते प्रक्रिया का पालन हो।
दरअसल, 16 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जैन मठ से 36 वर्षीय मादा हाथी महादेवी उर्फ माधुरी को वनतारा शिफ्ट करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह फैसला PETA की याचिका और रिपोर्ट के आधार पर दिया था जिसमें माधुरी की सेहत, गठिया और मानसिक तनाव को लेकर चिंता जताई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में 29 जुलाई को सुनाए गए फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था, जिसके बाद माधुरी को वंतारा भेज दिया गया था।
माधुरी के जैन मठ छोड़ कर जाते हुए न सिर्फ मठ के लोग बल्कि आस पास के लोगों भी काफी दुखी हुए थे। माधुरी की विदाई के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे जिसमें लोगों के साथ साथ माधुरी भी मठ को छोड़ कर जाते हुए रोती हुई देखी गई थी। वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी माधुरी को वंतारा भेजे जाने का जमकर विरोध होने लगा। इस फैसले के खिलाफ काफी प्रदर्शन भी किया गया और 45 किमी लंबी मौन पदयात्रा भी निकाली गई।
Published on:
15 Sept 2025 05:07 pm
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