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मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी में पारदर्शिता, जवाबदेही, मुनाफा बढ़ाने के लिए इस विधेयक को मंज़ूरी- अमित शाह

- बहुराज्‍य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक लोकसभा में चर्चा के बाद पारित - विधेयक से समितियों में एक अनुसूचित जाती, या अनुसूचित जनजाति और एक महिला को आरक्षण, इन वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा - देश के सहकारिता आंदोलन में एक नए युग की शुरूआत होगी

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अनुराग मिश्रा
नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के लोक सभा में बहुराज्‍य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 पर चर्चा का जवाब देने के बाद इसे पारित कर दिया गया।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने विधेयक पर लोक सभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी में पारदर्शिता, जवाबदेही और उसका मुनाफा बढ़ाने के लिए इस विधेयक को मंज़ूरी दी है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में स्वतंत्र चुनाव करवाने के लिए निर्वाचन सुधार लागू करने के लिए निर्वाचन प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है जो लगभग निर्वाचन आयोग के बराबर शक्तिशाली होगा और इसमें सरकारी दखल नहीं होगा। इसके अलावा, अगर निदेशक मंडल की एक-तिहाई संख्या खाली हो जाती है तो फिर चुनाव करवाने की व्यवस्था की गई है।

बोर्ड की बैठकों में अनुशासन, सहकारी समितियों के कार्यकलाप सुचारू रूप से चलाने के भी प्रावधान इसमें हैं। समितियों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों को 3 महीने में बोर्ड मीटिंग बुलानी आवश्यक होगी। उन्होंने कहा कि सहकारी समिति के शासन में पारदर्शिता लाने के लिए इक्विटी शेयरधारक को बहुमत का प्रावधान रखा गया है।

अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक में समितियों में एक अनुसूचित जाती, या अनुसूचित जनजाति और एक महिला को आरक्षण देने का काम किया गया है, जिससे समितियों में इन वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न संवैधानिक अपेक्षाओं का अनुपालन ना करने पर बोर्ड के सदस्यों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।

शाह ने कहा कि कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में किसी के भी ब्लड रिलेशन या डिस्टेंट रिलेशन में नौकरी नही दी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में सूचना के अधिकार को भी शामिल किया गया है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस सदन द्वारा ये बिल पारित करने के साथ ही देश के सहकारिता आंदोलन में एक नए युग की शुरूआत होगी।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने पैक्स को पुनर्जीवित करने, इन्हें वायबल और बहुआयामी बनाने के लिए कई प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि देश के 63000 पैक्स को 2500 करोड़ रूपए की लागत से कम्प्यूटराइज़्ड करने का काम किय़ा है, इससे PACS, ज़िला सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और नाबार्ड के साथ जुड़ जाएंगे।

शाह ने कहा कि कम्प्यूटराइज़्ड हो जाने पर पैक्स के ऑडिट की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन हो जाएगी और ये कई प्रकार के नए व्यवसाय कर सकेंगे।

लोक सभा में प्रस्तुत विधेयक में, Concurrent Audit से त्‍वरित सुधारात्‍मक कार्रवाई, केन्‍द्रीय पंजीयक द्वारा कपटपूर्ण और अवैध गतिविधियों में लिप्‍त समिति के गठन, कार्यकरण और वित्तीय स्थिति की जांच पड़ताल से अनुशासन के अनुपालन पर भी बल दिया गया है। इसके साथ ही, व्यापार में सुगमता लाने के लिए पंजीकरण प्रक्रियाओं में संशोधन, आवेदन के त्वरित निपटान, इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके से आवेदन, दस्‍तावेज, जांच आदि अपलोड करने के प्रावधान भी विधेयक में किए गए हैं।

विधेयक में सरकार की पूर्वानुमति से सरकारी शेयरों के redemption, बहुराज्य सहकारी समिति को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद liquidation और सहकारी बैंकों पर BR अधिनियम, 1949 लागू करने जैसी व्यवस्थाएं भी की गई हैं।