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सियाचिन बेस कैंप इलाके में भीषण हिमस्खलन, 2 अग्निवीर समेत 3 जवान शहीद

सियाचिन बेस कैंप इलाके में हिमस्खलन की चपेट में आने से तीन जवानों शहिद हो गए है, इसमें दो अग्निवीर भी शामिल थे।

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भारत

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Himadri Joshi

Sep 09, 2025

Avalanche in Siachen

सियाचिन में हिमस्खलन से तीन जवान शहीद (फोटो -आईएएनएस)

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में मौजूद दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आने से भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए है। रविवार, 7 सितंबर को सियाचिन बेस कैंप इलाके में 12,000 फीट की ऊंचाई पर हिमस्खलन की यह घटना हुई थी। जिसके बाद आज मंगलवार को इस दुर्घटना में मारे गए तीन जवानों के शव बरामद किए गए है। इस हिमस्खलन में मारे गए तीन जवानों में दो अग्निवीर भी शामिल थे।

दुनिया का सबसे ऊंचा और चुनौतीपूर्ण युद्धक्षेत्र

दुनिया का सबसे ऊंचा और चुनौतीपूर्ण युद्धक्षेत्र माना जाने वाला सियाचिन ग्लेशियर हिमालय की पूर्वी कराकोरम श्रेणी में स्थित है। यह कश्मीर के उत्तर-पूर्व में उस जगह के ठीक उत्तर-पूर्व में है जहां भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) NJ9842 नामक बिंदु पर समाप्त होती है। यह दुनिया के सबसे ठंडे और दुर्गम क्षेत्रों में से एक है। 76 किलोमीटर की लंबाई के साथ यह सियाचिन काराकोरम में सबसे लंबा और दुनिया के गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों में दूसरा सबसे लंबा ग्लेशियर है। काराकोरम पर्वत श्रृंखला में स्थित इस ग्लेशियर की ऊंचाई यह 5,753 मीटर (लगभग 18,875 फीट) है।

1984 से भारत के नियंत्रण में सियाचिन

सभी प्रमुख दर्रों समेत पूरा सियाचिन ग्लेशियर 1984 से लद्दाख के हिस्से के तौर पर भारत के नियंत्रण में है। वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान की आर्मी, साल्टोरो रिज के पश्चिम में स्थित क्षेत्र को नियंत्रित करती है, जो कि ग्लेशियर के पश्चिम में है। इस क्षेत्र में, पाकिस्तानी पोस्ट, रिज पर स्थित 100 से अधिक भारतीय पोस्टों से 1 किमी नीचे हैं। सियाचिन ग्लेशिय भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवादित क्षेत्र है, जिसे लेकर दोनों देश 1984 से संघर्ष कर रहे है।

भारत ने ऑपरेशन मेघदूत के जरिए हासिल किया सियाचिन

भारत ने 1984 में सियाचिन ग्लेशियर पर कब्ज़ा करने के लिए ऑपरेशन मेघदूत लॉन्च किया था। इसके बाद, 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठ को देखते हुए, भारत ने सियाचिन ग्लेशियर में अपनी स्थिति को और मज़बूत किया। इसका उद्देश्य पाकिस्तान की सेना द्वारा ग्लेशियर पर कब्ज़ा करने के किसी भी प्रयास को रोकना था। डॉ. मनमोहन सिंह देश के पहले प्रधानमंत्री और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के पहले राष्ट्रपति थे जिन्होंने सियाचिन क्षेत्र का दौरा किया। डॉ. मनमोहन सिंह के बाद पीएम मोदी भी सियाचिन दौरे पर गए थे।