
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो)
महाराष्ट्र के बाद अब बंगाल में भी भाषा विवाद शुरु हो गया है। हाल ही कोलकाता नगर निगम ने एक सर्कुलर जारी करते हुए दुकानदारों और अन्य प्रतिष्ठानों के लिए अपनी दुकानों के साइनबोर्ड में बंगाली भाषा का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है। ऑर्डर पास होने के बाद से ही शहर के कई दुकानदारों ने अपने साइनबोर्ड को बांग्ला में बदलना शुरु कर दिया है। ममता बनर्जी सरकार के इस नए फैसले के बाद से कोलकाता नगर निगम इलाके में आने वाली सभी दुकानों को अपनी दुकानों के नाम बांग्ला भाषा में भी लिखने होंगे।
बंगाल सरकार का कहना है कि उन्होंने यह कदम बीजेपी शासित राज्यों में कथित तौर पर बंगाली प्रवासी मजदूरों को परेशान किए जाने के विरोध में और बांग्ला भाषा की पहचान और गौरव को बनाए रखने के लिए उठाया है। कोलकाता नगर निगम के कमिश्नर धवल जैन ने शनिवार को यह नया सर्कुलर जारी किया है। इसमें साफ़-साफ़ कहा गया है कि शहर के सभी साइनबोर्डों पर बंगाली भाषा का उपयोग करना अनिवार्य है। बता दे कि, महानगर पालिका आयुक्त ने पिछले साल 30 दिसंबर को एक निर्देश जारी किया था, जिसमें दुकानों से बंगाली भाषा में साइनबोर्ड लगाने का अनुरोध किया गया था, लेकिन दुकानदारों ने इसका पालन नहीं किया।
जिसके बाद अब कोलकाता नगर निगम ने इस निर्देश को पालन करना अनिवार्य कर दिया है। इस सर्कुलर में कहा गया है कि, कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम के निर्देशानुसार, सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों, कार्यालयों, नगर निगमों और अन्य संस्थानों को अपनी दुकानों और साइनबोर्डों पर सबसे ऊपर बांग्ला भाषा में लिखना होगा। इसमें सख्त निर्देश दिए गए है कि, किसी भी साइनबोर्ड पर बांग्ला भाषा को अन्य भाषाओं के साथ नहीं, बल्कि सबसे ऊपर लिखा जाएगा। सर्कुलर के अनुसार, यह नियम इसी महीने से लागू हो जाएगा। इस कदम का मकसद सभी व्यावसायिक और संस्थागत स्थानों पर बांग्ला भाषा के महत्व को बनाए रखना है।
Published on:
07 Sept 2025 11:59 am
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