
Bengaluru Exodus:बेंगलुरु भारत की सिलिकॉन वैली (India’s Silicon Valley) के नाम से जाना जाता है, अब अपनी चमक खो रहा है। कभी यह शहर(Bengaluru Exodus) तकनीकी पेशेवरों और स्टार्टअप उद्यमियों के लिए सपनों का गंतव्य था, लेकिन अब यहाँ की सड़कों पर घंटों जाम (Traffic Congestion Bengaluru), हवा में बढ़ता प्रदूषण (Pollution in Bengaluru) और रहने की ऊँची लागत ने निवासियों को परेशान कर दिया है। हाल के एक अध्ययन के अनुसार, बेंगलुरु दुनिया का तीसरा सबसे खराब शहर (Tier-2 Cities India) है, ट्रैफिक जाम के मामले में, जहाँ लोग हर साल औसतन 130 घंटे से अधिक सड़कों पर फंसे रहते हैं। इसके अलावा, पानी की कमी और खराब सड़कें इस शहर को और मुश्किल बना रही हैं।
बेंगलुरु की इन समस्याओं के कारण कई लोग अब पास के छोटे शहरों जैसे मैसूर, कोयंबटूर और हुबली की ओर रुख कर रहे हैं। ये टियर-2 शहर न केवल सस्ता जीवन-यापन और बेहतर बुनियादी ढाँचा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि यहाँ शांति और हरियाली भी बेंगलुरु से कहीं अधिक है। उदाहरण के लिए, मैसूर में यातायात की समस्या कम है और किराए व संपत्ति की कीमतें बेंगलुरु की तुलना में कहीं सस्ती हैं। यह प्रवृत्ति भारत के भविष्य के विकास केंद्रों के रूप में छोटे शहरों की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाती है।
पिछले कुछ दशकों में बेंगलुरु ने भारत के तकनीकी उद्योग को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। वैश्विक आईटी कंपनियाँ, स्टार्टअप और युवा प्रतिभाएँ इस शहर की ओर खींची चली आईं। लेकिन तेजी से बढ़ते शहरीकरण ने बेंगलुरु के बुनियादी ढाँचे पर भारी दबाव डाला है। सड़कों पर गड्ढे, बेतरतीब निर्माण और अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन ने निवासियों का जीवन मुश्किल कर दिया है। इसके साथ ही, आसमान छूती प्रॉपर्टी की कीमतें और किराये ने यहाँ रहना और भी महँगा बना दिया है।
हाल ही में एक निवेश बैंकर ने सोशल मीडिया पर बेंगलुरु की बिगड़ती स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि लोग अब बेहतर जीवन की तलाश में शहर छोड़ रहे हैं। एक सामान्य बेंगलुरु निवासी को हर दिन लंबे ट्रैफिक जाम, प्रदूषण और पानी की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई परिवार और पेशेवर अब इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या बेंगलुरु की चमक इन परेशानियों के लायक है। छोटे शहरों में नौकरी के नए अवसर और बेहतर जीवनशैली उन्हें आकर्षित कर रहे हैं।
बेंगलुरु की समस्याओं का समाधान आसान नहीं है। शहर को अपने बुनियादी ढाँचे में सुधार, यातायात प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना होगा। अगर बेंगलुरु अपनी सिलिकॉन वैली की छवि को बचाना चाहता है, तो उसे टिकाऊ विकास और बेहतर शहरी नियोजन की दिशा में काम करना होगा। तब तक, मैसूर और कोयंबटूर जैसे शहर भारत के अगले तकनीकी और सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं। (इनपुट क्रेडिट: निवेश बैंकर सार्थक आहूजा की लिंक्डइन पोस्ट।)
Updated on:
28 Sept 2025 09:58 pm
Published on:
28 Sept 2025 07:56 pm
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