
राजद नेता तेजस्वी यादव और वीआईपी नेता मुकेश सहनी। (फोटो- IANS)
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर घमासान तेज़ हो गया है। जहां राजद कांग्रेस, वाम दल और वीआईपी ने अधिक से अधिक सीटों पर दावा ठोक दिया है।
दरअसल, बिहार में महागठबंधन की ताक़त का इम्तिहान सीट बंटवारे में ही नज़र आ रहा है। सीत बंटवारे का रास्ता इतना आसान नहीं है, जितना सियासी यात्राओं के दौरान एकता दिखाई दे रही थी।
चुनाव के नजदीक आते आते हर दल अपने दावे ठोक रहा है। ऐसे में राजद के लिए सभी दलों को साथ रखना आसान नहीं होगा। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि समझौते की डोर कितनी मज़बूत रह पाती
संगठनात्मक कमजोरी और चुनावी तैयारियों की सुस्ती के बावजूद कांग्रेस ने 70 सीटों पर दावा ठोक दिया है। पार्टी का तर्क है कि उसकी “राष्ट्रीय पहचान” और “पारंपरिक वोट बैंक” के कारण उसे बड़ी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
महागठबंधन का महत्वपूर्ण घटक सीपीआई (माले) भी इस बार आक्रामक रुख में है। पार्टी ने 40 सीटों पर दावेदारी जताई है। महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि विपक्षी गठबंधन के सबसे बड़े सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को छोटे सहयोगियों के प्रति अधिक उदार होना चाहिए।
वहीं, कांग्रेस ने पिछली बार 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन 19 पर जीती थी। ऐसे में कांग्रेस को अब कम सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए।
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने भी 50 से अधिक सीटों की मांग रख दी है। पार्टी का कहना है कि उसका समर्थन पिछड़े वर्गों में निर्णायक साबित हो सकता है।
महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद अब दुविधा में है। राजद खुद 125 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। ऐसा मानना है कि राजद अपने परंपरागत वोट बैंक और प्रभाव वाले क्षेत्रों में अधिकतम सीटें जीतना चाहता है।
Updated on:
22 Sept 2025 10:45 am
Published on:
22 Sept 2025 09:06 am
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