
Bihar's Assistant Professor Lallan Kumar returned 23.83 lakh rupees to the college, know why the salary was returned
सरकारी स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षकों पर अक्सर बच्चों को नहीं पढ़ाने और वेतन लेते रहने के आरोप लगते रहते हैं। ऐसे दौर में बिहार के मुजफ्फरपुर के नीतीशेश्वर कॉलेज में हिंदी पढ़ाने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर लल्लन कुमार ने नैतिकता की अलग मिसाल पेश की है। उन्होंने 2019 से लेकर 33 महीनों की कमाई कॉलेज को वापस कर दिया है। लल्लन कुमार ने बताया कि इन 33 महीनों में कोई भी छात्र एक भी कक्षा के लिए नहीं आया। इसलिए उन्होंने कहा कि मेरी अंतरात्मा मुझे बिना पढ़ाए वेतन लेने की अनुमति नहीं देती है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ललन कुमार ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, बिहार के रजिस्ट्रार को चेक के माध्यम से 23,82,228 रुपए वापस कर दिए। नीतीशेश्वर कॉलेज बीआरएबीयू विश्वविद्यालय से एफिलिएट है।
मेरी अंतरात्मा मुझे बिना पढ़ाए वेतन लेने की अनुमति नहीं देती
मीडिया से बात करते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर लल्लन कुमार ने कहा कि जब सीखने वाला कोई नहीं है तो वेतन क्यों? उन्होंने कहा कि मेरी अंतरात्मा मुझे बिना पढ़ाए वेतन लेने की अनुमति नहीं देती है। लल्लन कुमार ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान हिंदी की ऑनलाइन क्लास में गिने-चुने ही छात्र आते थे। अगर मैं पांच साल तक बिना पढ़ाए वेतन लेता हूं, तो मेरे लिए यह अकादमिक मौत होगी।
असिस्टेंट प्रोफेसर लल्लन कुमार ने कुलपति को लिखा पत्र
असिस्टेंट प्रोफेसर लल्लन कुमार ने अपना वेतन वापस करते हुए कुलपति को एक पत्र लिखा। उन्होंने कहा मैं कॉलेज में 25 सितंबर 2019 से कार्यरत हूं। मुझे पढ़ाने की इच्छा है लेकिन स्नातक हिंदी विभाग में 131 विद्यार्थियों में से एक भी विद्यार्थी उपस्थित नहीं होता है। मैं नीतीश्वर कॉलेज में अपने काम के प्रति कृतज्ञ महसूस नहीं कर रहा हूं। इसलिए अंतरात्मा की आवाज पर मैं नियुक्ति से अब तक का पूरा वेतन विश्वविद्यालय को वापस करता हूं।
बीआरएबीयू के रजिस्ट्रार ने की प्रशंसा
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (बीआरएबीयू) के रजिस्ट्रार आरके ठाकुर ने असिस्टेंट प्रोफेसर लल्लन कुमार के इस कदम की प्रशंसा की है। वहीं कॉलेज के प्रिंसिपल मनोज कुमार ने कहा कि यह केवल स्नातकोत्तर विभाग में स्थानांतरित होने के लिए एक रणनीति है।
Published on:
07 Jul 2022 01:02 pm
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