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बिहार : एक साल में ‘सुशासन’ के 7 पुल धराशायी; गलत डिजाइन, घटिया निर्माण या कुछ और, आखिर क्या है वजह

Bihar Bridge Collapse : बाढ़, गरीबी और बदहाली के लिए विख्यात बिहार में बीते एक साल में सात पुल गिरे। भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहे सुल्तानगंज-अगुवानी पुल के गिरने के बाद सरकार आलोचनाओं का सामना कर रही है। पुल निर्माण में धांधली की बात हो रही है।

Jun 06, 2023 / 06:40 am

Prabhanshu Ranjan

बिहार में पुल के गिरने की आखिर क्या है वजह?

बिहार में पुल के गिरने की आखिर क्या है वजह?

Bihar Bridge Collapse : गंगा, कोसी, महानंदा, कमला, बागमती, गंडक, सोन, पुनपुन सहित बिहार से 15 नदियां बहती हैं। इन नदियों से राज्य में हर साल बाढ़ भी आती है। जिससे जान-माल का भारी नुकसान होता है। बिहार की शोक कही जाने वाली कोसी के बाढ़ और कटाव से दर्जनों गांव हर साल अपना स्थान बदलते हैं। इधर बीते कुछ सालों में बिहार में सड़क, पुल का निर्माण काफी तेजी से हो रहा है। कई जिलों से चौड़ी फोर लेन सड़कें निकाली गई हैं। कई नदियों पर पुल का निर्माण हो रहा है। लेकिन इस निर्माण कार्य में गुणवत्ता से समझौता भी बड़े पैमाने पर हो रहा है। स्थानीय लोग लगभग हर निर्माण कार्य में हो रही खामियों पर बात करते मिलेंगे। रविवार को भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहे पुल को गिरने के बाद से निर्माण कार्य में बरती जा रही लापरवाही फिर से उजागर हो गई है।


CM नीतीश कुमार ने दिया कार्रवाई का निर्देश

सुशासन की सरकार का दावा करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुल गिरने की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, ”’भागलपुर में पहले भी ऐसा हुआ था तब भी हमने पूछा था कि ऐसा क्यों हुआ? 2014 से इसपर काम शुरु हुआ था। कल पुल गिरने की घटना के बाद हमने विभाग के लोगों को एक्शन लेने के लिए कहा है।”

दोषियों पर कार्रवाई होगी? उठ रहे सवाल

मुख्यमंत्री ने भले ही दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दे दिया है, लेकिन दोषियों पर कार्रवाई होगी? इसपर शंका है। क्योंकि पिछली कई घटनाएं इसका उदाहरण है। ऐसा नहीं है कि बिहार में पहली बार कोई पुल गिरा हो। बात बीते एक साल की करें तो राज्य में सात पुल गिरे। सभी में जांच की बात कही गई। लेकिन पुल गिरने की घटनाएं रुकी नहीं।

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बीते एक साल में बिहार में पुल गिरने की घटनाएं

04 जून 2023 : भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहा फोरलेन पुल भरभरा कर गिर गया। इस पुल का निर्माण 1710 करोड़ की लागत से हो रहा था। पुल भागलपुर को खगड़िया से जोड़ती। इससे उत्तर बिहार और पूर्वी बिहार से संपर्क आसान हो जाता। लेकिन पुल के गिरने से इसे मेगा प्रोजेक्ट के फेल की आशंका बढ़ गई है। साथ ही सरकार पर सवाल उठ रहे हैं।

19 मार्च 2023: बिहार के सारण जिले में अंग्रेजों के जमाने का एक सड़क पुल गिर गया था। इस घटना में ट्रक चालक व खलासी घायल हुए। बताया गया कि महानदी नदी पर बना अंग्रेजों के जमाने का पुल पिछली बाढ़ के बाद से जर्जर था। और कई जगहों पर दरारें भी नजर आ रही थीं। बावजूद पथ निर्माण विभाग ने इसे खतरनाक पुल घोषित नहीं किया है। 19 मार्च के दिन पत्थर के चिप्स से लदा ट्रक पुल पर जा गिरा। वाहन के अत्यधिक भार के कारण पुल ढह गया।

19 फरवरी 2023 : बिहार के पटना जिले में एक निर्माणाधीन पुल गिर गया। घटना बिहटा-सरमेरा फोर लेन मार्ग पर हुई। पटना को नालंदा जिले से जोड़ने वाली सड़क आंशिक रूप से बनी है। घटना जिले के नौबतपुर प्रखंड के रुस्तमगंज गांव की है। इस हादसे में कोई घायल नहीं हुआ।

16 जनवरी 2023: बिहार के दरभंगा जिले में ओवरलोड ट्रक की चपेट में आने से लोहे का पुल गिर गया था। घटना दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान प्रखंड के सबोहर घाट की है। कमला बलान नदी पर स्थित यह पुल दरभंगा को मधुबनी, सहरसा और समस्तीपुर जिलों से जोड़ता है। रेत से भरा ट्रक जब पुल के बीच में पहुंचा तो वह टूट गया और ट्रक नदी में गिर गया। वाहन के चालक और खलासी ने नदी में कूदकर जान बचाई।

18 नवंबर, 2022 : बिहार के नालंदा जिले में एक निर्माणाधीन सड़क पुल के ढह जाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। वेना ब्लॉक में चार लेन के खंड पर सड़क पुल का निर्माण चल रहा था। यह पुल पूर्व में भी घटिया निर्माण सामग्री के कारण टूट गया था।

9 जून, 2022 : बिहार के सहरसा जिले में पुल का एक हिस्सा गिरने से तीन मजदूर घायल हो गए थे। हादसा सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के कंडुमेर गांव में कोसी तटबंध के पूर्वी हिस्से में हुआ। पुल पर काम कर रहे घायल मजदूर टूट कर नीचे गिर गये और मलबे में दब गए। उन्हें अन्य मजदूरों ने बचा लिया और सदर अस्पताल सहरसा में भर्ती कराया और बाल-बाल बच गए।

20 मई, 2022 : राज्य की राजधानी पटना में अत्यधिक बारिश के कारण 136 साल पुराना एक सड़क पुल ढह गया। पुल पटना से 25 किमी दूर फतुहा उप-नगर में स्थित था। पुल का निर्माण ब्रिटिश काल के दौरान 1884 में हुआ था।


पुल गिरने के बाद किसने क्या कहा

बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, “जब इससे पहले भी पुल गिरने की घटना हुई थी, तब भी हम आशंका में थे कि हमें सभी सेगमेंट की जांच करानी चाहिए। रिव्यू मीटिंग भी की गई। IIT रुड़की ने 30 अप्रैल 2022 में पुल गिरने का कारण आंधी तूफान बताया। हमें इसके डिजाइन में पहले से ही फॉल्ट था, इसे पूरे तरीके से ध्वस्त करके फिर से कार्य प्रारंभ करने का हमारा निर्णय था।”

सड़क निर्माण विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा, ” हम पहले क्लीयर थे कि इस ब्रिज को नए सिरे बनाने में किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा, IIT रुड़की की एक रिपोर्ट आ गई है इस मामले में पूरी रिपोर्ट आ जाएगी। इस कार्य के लिए संवेदक के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।”

विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा, “नीयत में जब खोट होगा तो नीति कैसे सफल होगी। एक बार सुलतानगंज के तरफ पुल गिरा था और आज खगड़िया की ओर गिरा है। कई पुल पुर्णिया में भी गिरे हैं, बिहार के अंदर यह कमीशनखोरी की प्रथा गुणवत्ता विहीन काम चरम पर है। जिसकी छवि दिखाई दे रही है।”

केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा, “पुल गिरने की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, इसकी जांच होनी चाहिए। बिहार सरकार धृतराष्ट्र की तरह आंख बंद न कर सभी पुल की सुरक्षा जांच कराएं।”


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राज्य में कई पुल सालों पुराने, नहीं होती समुचित देखरेख

इससे पहले राज्य के दूसरे शहरों में पुल गिरने की घटनाओं पर लोगों का कहना था कि पुल का रखरखाव सही तरीके से नहीं होता है। बारिश को लेकर जिला प्रशासन सतर्क नहीं था। राज्य में कई पुल सालों पुराने है। जो अब भारी वाहनों का वजन नहीं सह सकते।

लेकिन इसके बाद भी इन पुलों से आवाजाही जारी है। बांका का चांदन पुल, जमुई जिले के गिद्धौर, सोनो के पुल, सारण, कोइलवर, आरा आदि जिलो में ऐसे कई पुल हैं। जो अंतिम समय में है।

30 अप्रैल 2022 को आंधी में गिरा था भागलपुर का पुल

बिहार के वरिष्ठ पत्रकार पुष्य मित्र ने भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहे पुल के गिरने पर सोशल मीडिया पर लिखा, यह तस्वीर गंगा नदी पर सुल्तानगंज और अगुआनी घाट के बीच बन रहे 3.1 किमी लंबे पुल की है। यह अभी बनकर तैयार नहीं हुआ है, मगर इस बीच दो बार ढह चुका है। पहली दफा यह 30 अप्रैल, 2022 की रात गिर गया था, जब थोड़ी सी आंधी आई थी। आज तो कुछ भी नहीं हुआ था, मगर फिर भी भरभरा कर गिर गया।

केबल स्टेड की आधुनिक तकनीक पर बन रही है पुल

पुष्य मित्र ने अपने पोस्ट में लिखा कि पिछली दफा जब यह पुल गिरा था तो मैं सुल्तानगंज गया था। उस वक्त निर्माता कंपनी के अधिकारी से जो मेरी बातचीत हुई उसके आधार पर कुछ कह सकता हूं। यह दरअसल केबल स्टेड ब्रिज है। मोटे तारों के जरिए इस पुल के स्लैब को संतुलित किया जाता है। पुल निर्माण की यह तकनीक आधुनिक है। बिहार में आरा छपरा के बीच भी इसी तकनीक पर पुल बना है। पुल बनाने वाली कंपनी एसपी सिंगला है। यह ऐसे पुल बनाती है।

केबल स्टेड तकनीक में संतुलन की बड़ी भूमिका

मगर इस पुल के निर्माण में संतुलन की बड़ी भूमिका होती है। दोनों तरफ के केबल में बराबर वजन डालकर फिर उसमें लोड डाला जाता है। इसमें जरा भी संतुलन गड़बड़ाया सबकुछ आसानी से ध्वस्त हो जाता है। पिछले साल यही हुआ था।

बिना संतुलन के लोड बढ़ाया गया। इस वजह से यह क्रॉस विंड के जरा से झोंके को सह नहीं पाया। इस साल भी संभवतः यही हुआ होगा। मुमकिन है कि इस पुल को बनाने वाले मजदूर और कर्मी अनुभवी नहीं हैं या फिर इनसे बार बार कोई चूक हो रही है।

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