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जातीय जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद बढ़ी BJP की मुश्किलें, चुनाव में विपक्ष बना सकता है मुद्दा

Bihar caste census report: बिहार सरकार की तरफ से जारी किए गए जातिगत जनगणना की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है।

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 BJP problems increased after Bihar caste census report


आखिरकार लंबे समय के बाद बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने 2 अक्टूबर को राज्य में जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी। सरकार की तरफ से जारी किए गए रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 फीसदी है और पिछड़ा वर्ग की संख्या 27 परसेंट है। साफ है कि सबसे बड़ा सामाजिक समूह ओबीसी वर्ग का है, जिसकी संख्या 63 फीसदी है।

इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद नीतीश कुमार और लालू यादव की पार्टी आरजेडी दोनों ही मिलकर इसका श्रेय ले रहे हैं। वहीं भाजपा भी समर्थन की बात करके ओबीसी को सबसे ज्यादा महत्व देने वाली पार्टी का दावा कर रही है। साफ है कि 2024 के आम चुनाव से पहले OBC पॉलिटिक्स केंद्रीय भूमिका में आ गई है।


बिहार से आई रिपोर्ट का देश में असर पड़ना तय

बिहार में आई जातीय जनगणना की रिपोर्ट का देश में असर पड़ना तय माना जा रहा है। इसके पीछे कारण ये है कि बिहार से सटे UP, झारखंड और खासकर हिंदी बेल्ट वाले राज्यों में जातीय जनगणना कराने की मांग और तेज हो जाएगी। यूपी में सपा जहां 2022 के यूपी चुनाव में ही 15 बनाम 85 का नारा दे चुकी है। वहीं, अब एक बार फिर से 2024 में यूपी, बिहार जैसे हिंदी पट्टी के राज्यों में ओबीसी कार्ड तेज हो सकता है।

इसका असर यूपी, बिहार से आगे राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा जैसे प्रदेशों में भी दिख सकता है। यानी 2024 के लिए विपक्ष को हथियार मिल चुका है। बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब संसद से लेकर सड़क तक जातिगत जनगणना कराने के लिए सरकार पर दबाव डालने के साथ ये वादा भी कर रहे है कि अगर केंद्र के साथ ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार आती है तो वह जातिगत जनगणना कराएगी।

जातीय जनगणना बहाना आरक्षण पर निशाना

दरअसल, राजनीति के जानकार मानते है कि विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे जातिगत जनगणना का मुद्दा सिर्फ एक बहाना है। राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार इस रिपोर्ट को लेकर कहते हैं, 'यह आंकड़े हैरान करने वाले नहीं है। पहले ही बिहार को लेकर ऐसा ही अनुमान रहा है, लेकिन अब सरकारी आंकड़ा है तो तस्वीर ज्यादा साफ है।

इस रिपोर्ट के बाद नीतीश कुमार और लालू यादव जैसे नेता यह प्रचार करेंगे कि ओबीसी की आबादी 60 परसेंट से ज्यादा है, जबकि आरक्षण 27 फीसदी ही मिलता है। इसे बढ़ाना चाहिए और सरकार अन्याय कर रही है। इस तरह भाजपा को ओबीसी पर घेरने की कोशिश होगी। एक तरह से 2024 से पहले विपक्ष को एक हथियार मिल गया है।

चुनाव में भाजपा की बढ़ सकती है मुश्किल

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी हिंदी बेल्ट के कई राज्यों में या तो सरकार में है या प्रमुख विपक्षी पार्टी है। ऐसे में रिपोर्ट सामने आने के बाद उसकी मुश्किलें बढ़ गई है।क्योंकि अगर वह दूसरे राज्यों में जातिगत जनगणना कराने का वादा करती है तो उस पर हिंदुत्व के मुद्दे से भटकने का आरोप लगेगा और अगर वह जनगणना का वादा नहीं करती है तो विपक्ष आसानी से उस पर OBC विरोधी होनेे का आरोप लगाएगा। हालांकि भाजपा शुरू से खुद को OBC समाज की सबसे बड़ी हितैषी बताती है। खुद प्रधानमंत्री मोदी कई मौकों पर अपनी जाती को लेकर बयान दे चुके हैं।

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