census: 1 मार्च 2027 से जनगणना शुरू होगी और यह दो चरणों में पूरी होगी। इस बार जनगणना में जातियों की भी गणना होगी।
Census: भारत सरकार ने देश में जनगणना की तारीख की घोषणा कर दी है। आगामी 1 मार्च 2027 से देशभर में जनगणना की प्रक्रिया शुरू होगी, जो दो चरणों में पूरी की जाएगी। इस बार की जनगणना की खास बात यह है कि इसमें जातियों की गणना भी शामिल होगी, जो दशकों बाद केंद्र स्तर पर पहली बार होगी। यह निर्णय सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बर्फीले क्षेत्रों जैसे लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जनगणना अक्टूबर 2026 से शुरू होगी, ताकि मौसम की चुनौतियों से बचा जा सके।
जातिगत जनगणना की मांग लंबे समय से राजनीतिक और सामाजिक हलकों में उठ रही थी। विपक्षी दलों और कुछ सहयोगी दलों ने इसे सामाजिक न्याय और संसाधनों के उचित वितरण के लिए आवश्यक बताया है। यह गणना न केवल पिछड़े वर्गों की पहचान में मदद करेगी, बल्कि नीति निर्माण और आरक्षण की सीमा बढ़ाने जैसे मुद्दों पर भी प्रभाव डालेगी। हालांकि, सरकार ने अभी तक इसकी अंतिम पुष्टि नहीं की है, लेकिन तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं।
भारत में हर दस साल में होने वाली जनगणना, जो 2021 में निर्धारित थी, कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था। बता दें कि अगर इसे तय समय पर किया गया होता, तो अंतिम रिपोर्ट 2021 तक सामने आ जाती।
भारत में आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी, जो देश की 15वीं दशकीय जनगणना थी। यह जनगणना 1 मार्च 2011 को शुरू हुई थी और इसके आंकड़े 2013 तक पूरी तरह प्रकाशित हुए। इस जनगणना ने भारत की जनसंख्या, शिक्षा, रोजगार, आवास और सामाजिक-आर्थिक स्थिति का व्यापक चित्र प्रस्तुत किया। बता दें कि भारत की जनगणना जनगणना अधिनियम, 1948 और जनगणना नियम, 1990 के प्रावधानों के तहत की जाती है।