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किशोरों के प्यार पर अदालतें नहीं लगा सकती लगाम, पॉक्सो केस में हाईकोर्ट का बयान

POSCO Case: पॉक्सो एक्ट के एक केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के जस्टिस वेंकट ज्योतिर्मई प्रताप ने कहा कि किशोरों के प्रेम को अदालतें नियंत्रित नहीं कर सकतीं।

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Courts cannot control the love of teenagers, High Court's statement in POCSO case

किशोरों के प्यार पर अदालतें नहीं लगा सकतीं लगाम, हाईकोर्ट का बयान

POSCO Case: पॉक्सो एक्ट के एक केस की सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस वेंकट ज्योतिर्मई प्रताप ने कहा कि किशोरों के प्रेम को अदालतें नियंत्रित नहीं कर सकतीं। उन्होंने केस में 21 साल के आरोपी युवक को जमानत देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में जमानत देने में जजों को काफी सावधानी बरतनी चाहिए।

क्या था मामला

पुलिस ने एक लडक़ी के परिवार की शिकायत पर युवक के खिलाफ पॉक्सो समेत कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। युवक को गिरफ्तार कर लिया गया। उसने जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि लडक़ी 16 साल की थी और वह युवक से प्रेम करती थी। लडक़ी के परिवार को प्रेम संबंध का पता चला तो उन्होंने लडक़ी को फटकार लगाई और युवक से उसकी शादी कराने से इनकार कर दिया। बाद में दोनों ने मंदिर में शादी कर ली। अभियोजन पक्ष का आरोप है कि शादी के बाद लडक़ी के साथ यौन हिंसा की गई। लडक़ी ने नौवीं के बाद स्कूल छोड़ दिया था और घर रहकर पढ़ाई कर रही थी।

बिना तलाक लिव-इन में रहने वाले कपल को कोर्ट का समर्थन नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने-अपने जीवन साथी को तलाक दिए बिना एक-दूसरे के साथ रहने वाले जोड़े की सुरक्षा की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। उन पर दो हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया। जस्टिस रेणू अग्रवाल की पीठ ने कहा कि इस तरह के रिश्ते को कोर्ट का समर्थन मिलने से समाज में अराजकता फैलेगी और हमारा सामाजिक ताना-बाना नष्ट हो जाएगा। हिंदू विवाह अधिनियम के मुताबिक किसी व्यक्ति का जीवन साथी जीवित है तो तलाक की डिक्री प्राप्त करने से पहले वह किसी अन्य व्यक्ति से शादी नहीं कर सकता।

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