
अल फलाह यूनिवर्सिटी (फोटो- एएनआई)
राजधानी दिल्ली में सोमवार शाम हुए धमाकों के बाद हरियाणा के फरीदाबाद में स्थिति अल फलाह यूनिवर्सिटी जांच के घेरे में आ गई है। यह वहीं यूनिवर्सिटी है जहां इस हमले से जुड़े डॉक्टर्स पढ़ाते थे। कथित तौर पर इसी यूनिवर्सिटी से इस ग्रुप का संचालन किया जाता था। अब केंद्र सरकार ने इस यूनिवर्सिटी के फंडिंग कहां से होती थी और इसके द्वारा किन खातों में पैसों का लेन-देन होता था इसकी गहन जांच करने के आदेश दिए है। एनआईए पहले से ही इस मामले की जांच कर रही है और अब ईडी और ईओडब्ल्यू भी इसमें शामिल हो गई है।
दिल्ली धमाकों से एक दिन पहले इस यूनिवर्सिटी के डॉ. मुज़म्मिल शकील को गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री (लगभग 300-350 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट), असॉल्ट राइफलें (AK-47 जैसी), पिस्तौलें और गोला-बारूद बरामद किए गए थे। डॉ. मुज़म्मिल के साथ इसी यूनिवर्सिटी में काम करने वाली डॉ. शाहीन सईद को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। उसके पास एक AK-47, ग्रेनेड और विस्फोटक पुलिस को मिले थे। दिल्ली धमाके का मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी भी इस यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ था।
धमाकों के बाद से यह यूनिवर्सिटी शक के घेरे में आ गई है। विस्फोट के अगले दिन मंगलवार को इस यूनिवर्सिटी के कैंपस में सर्च अभियान चलाया गया था। इस दौरान यूनिवर्सिटी के प्रिसिंपल, स्टाफ और स्टूडेंट समेत 52 लोगों से पूछताछ की गई और 6 लोगों को हिरासत में लिया गया। इसके बाद से सवाल उठने लगे है कि क्या 70 एकड़ में फैली इस यूनिवर्सिटी का इस्तेमाल कट्टरपंथी गतिविधियों को छिपाने के लिए किया जा रहा था। साथ ही हाल ही में खुलासा हुआ है कि दिल्ली धमाकों के लिए सामग्री खरीदने के लिए आतंकियों ने 26 लाख रुपये से ज्यादा की रकम जमा की थी। ऐसे में इन लोगों को पैसों की यह मदद कहां से मिली और यूनिवर्सिटी का इसमें क्या रोल है इसकी जांच की जिम्मेदारी केंद्र ने ईडी को सौंपी है।
Published on:
13 Nov 2025 03:55 pm
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