
धर्मस्थल में खुदाई के दौरान हड्डियाँ और कपड़े मिले (फोटो- आईएएनएस)
कर्नाटक के धर्मस्थल मंदिर में रेप पीड़िताओं के शव जलाने और दफनाने के मामले में एक नया मोड़ आ गया है। इसमें जांच टीम को नई खुदाई वाली जगह से कुछ हड्डियां और कपड़े मिले है। मामले की जांच कर रही विशेष जांच दल (एसआईटी ) टीम ने बुधवार को शहर के बंगलेगुड्डे क्षेत्र में फिर से खुदाई शुरू की है। खुदाई के दौरान 50 से 60 लोगों टीम मौके पर मौजूद रही। इसमें एसआईटी अधिकारी, फॉरेंसिक टीम और अन्य अधिकारी शामिल है। इन सभी लोगों ने कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे खुदाई के काम की निगरानी की।
सूत्रों के अनुसार, आज जिन नई जगहों पर खुदाई की गई वहां से टीम को हड्डियां और कुछ डेनिम का कपड़ा मिला है। टीम ने स्पॉट से हड्डियां और मिट्टी के नमूने एकत्र कर लिए हैं और बारिश के बीच भी खुदाई का काम जारी रखा है। फिलहाल इस मामले का खुलासा करने वाले व्यक्ति द्वारा बताई गई 11वीं और 12वीं जगह पर खुदाई का काम चल रहा है। जांच टीम के प्रमुख, प्रणब मोहंती, ने मंगलवार को ही राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मुलाकात की थी और उन्हें जांच की प्रगति के बारे में जानकारी दी थी।
धर्मास्थल में कथित तौर पर अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या की शिकार हुई सौजन्या नामक एक पीड़िता के एक करीबी रिश्तेदार विट्ठल गौड़ा के बयान के आधार पर यह खुदाई की जा रही है। विट्ठल गौड़ा नामक एक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर यह खुदाई की जा रही है। गौड़ा ने दावा किया था कि उन्होंने धर्मस्थला में बच्चों की हड्डियों का ढेर और शवों को दफनाते हुए देखा था। इस दावे के बाद, विशेष जांच दल ने इस मामले की सच्चाई जानने के लिए वहां खुदाई का काम शुरू किया है।
वहीं दूसरी तरफ कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से तुरंत इस मामले में दखल देने की अपील की है। कोर्ट से धर्मस्थल में हजारों की संख्या में रेप पीड़िताओं को जलाने और दफनाने के मामले में सुओ मोटो संज्ञान लेने को कहा गया है। सुओ मोटो का मतलब है कि कोर्ट बिना किसी की याचिका के अपने आप किसी मामले को संज्ञान में ले।
बता दे कि, इस पूरे मामले का खुलास मंदिर में सालों तक सफाई करने वाले सी.एन. चिन्नैया नामक व्यक्ति की शिकायत के बाद हुआ है। चिन्नैया ने पुलिस को लेटर लिख दशकों तक मंदिर और उसके आस पास के इलाकों में हुए अपराधों और यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों की जानकारी दी थी। साथ ही उसने बताया था कि उसे डरा धमका कर इन पीड़िताओं के शव दफनाएं और जलवाएं जाते थे। चिन्नैया ने दावा किया था कि वह उस सभी स्थानों के बारे में बता सकता है जहां जहां उसने पीड़िताओं के शव दफनाए है। साथ ही उसने यह भी कहा था कि इस मामले में मंदिर प्रशासन के अलावा भी कई बड़े लोग शामिल थे जिनके नाम का वह खुलासा करेगा।
इस मामले को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता रोहित पांडे ने भारत के मुख्य न्यायाधीश से एक औपचारिक अपील करते हुए यह मांग की थी कि विशेष जांच दल का नेतृत्व एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज करें। ऐसा करने से जांच पारदर्शी और निष्पक्ष होगी। साथ ही पांडे ने कोर्ट से न्यायिक निगरानी में बंगलेगुड्डे और अन्य चिह्नित जगहों पर पाए गए सभी अवशेषों की तुरंत खुदाई और फोरेंसिक जांच की भी मांग की थी।
याचिका में कहा गया है कि 3 जुलाई, 2025 को चिन्नैया की आधिकारिक शिकायत और शपथ पत्र के बाद एक विशेष जांच दल की जांच शुरू हुई। इस दौरान, शवों को कब्रों से निकालकर मानव अवशेष और पीड़ितों का सामान बरामद किया गया, जिससे चिन्नैया के लगाए गंभीर आरोपों की पुष्टि होती है। साथ ही याचिका में यह भी कहा गया कि चिन्नैया के परिवार को डराया धमकाया जा रहा है और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अगस्त में धर्मस्थल का दौरा करके इस बात की पुष्टि की थी। इसमें यह भी कहा गया कि गांव के लोग और एक मंत्री ने भी लोगों को दफनाने की पुष्टि की है और अब इस मामले को और नही छुपाया जा सकता है।
Published on:
17 Sept 2025 06:27 pm
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