
देश में हुए लोकसभा चुनाव में दो ऐसे उम्मीदवारों ने बिना प्रचार के जेल में बैठे ही जीत हासिल की। जम्मू-कश्मीर की बारामुला सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद टैरर फंडिंग के मामले में 2019 से ही दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। चर्चित सिख अलगाववादी नेता अमृतपालसिंह पंजाब की खडूर साहिब सीट से चुनाव जीते हैं। वह अवांछित गतिविधियों (यूएपीए) व राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गुवाहाटी जेल में बंद हैं। दोनों नवनिर्वाचित सांसद कैसे अपने पद की शपथ लेंगे और क्या होगा, जानते हैं….
कैसे शपथ ले सकते हैं जेल में बंद सांसद
चुनाव जीतने वाले दोनों सांसदों को शपथ लेने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी। विशेषज्ञों का कहना हैं कि सांसद के तौर पर चुने गए आरोपी को शपथ के लिए कोर्ट की इजाजत लेनी होगी। इसके बाद उन्हें कड़ी सुरक्षा में संसद ले जाया जाएगा और शपथ लेने के बाद उन्हें वापस जेल भेज दिया जाएगा।
क्या संसद की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं
संविधान के अनुच्छेद 101(4) में कहा गया है कि शपथ लेने के बाद दोनों सासंद लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर सदन में उपस्थित होने में अपनी असमर्थता जताते हुए इसकी अनुमति चाहेंगे। स्पीकर यह पत्र अनुपस्थिति संबंधी समिति को भेजेंगे। समिति सिफारिश करेगी कि अनुपस्थित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं? सिफारिश पर स्पीकर सदन का मत लेंगे। अमूमन अनुमति दे दी जाती है। अन्यथा वे कोर्ट की इजाजत से संसद की कार्यवाही में शामिल या जरूरत पड़ने पर वोट डालने आ सकते हैं।
क्या इनकी सदस्यता समाप्त हो सकती है?
अदालत में अपना केस लड़ रहे सांसदों को यदि उनके आरापों पर दोषी ठहराया जाता है और दो साल या अधिक की सजा होती है तो 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक वे लोकसभा में तत्काल अपनी सीट गंवा देंगे। आपराधिक दोषसिद्ध सांसदों को अयोग्य ठहराने के इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) को खत्म कर दिया था, जिसमें दोषी सांसद-विधायक को अपील करने के लिए तीन महीने का समय दिया जाता था।
Updated on:
08 Jun 2024 06:35 am
Published on:
08 Jun 2024 06:33 am
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
