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मेघालय के पूर्व सीएम लापांग का 91 साल की उम्र में निधन

मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री लापांग का 91 साल की उम्र में शिलॉन्ग के एक अस्पताल में निधन हो गया है।

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भारत

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Himadri Joshi

Sep 13, 2025

Former Meghalaya CM Lapang passed away

मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री लापांग का निधन (फोटो- आईएएनएस)

मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री, डी.डी. लापांग का शुक्रवार रात 91 वर्ष की आयु में शिलॉन्ग के एक अस्पताल में निधन हो गया है। लापांग राज्य के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले राजनेताओं में से एक थे। उनका जन्म 10 अप्रैल, 1934 को हुआ था। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले लापांग ने 1992 और 2008 के बीच चार बार पहाड़ी राज्य का सर्वोच्च राजनीतिक पद हासिल किया था।

1972 में राजनीतिक में रखा कदम

लापांग के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1972 में हुई थी, जब वे एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नोंगपोह से पहले मेघालय विधान सभा के लिए चुने गए थे। दशकों तक, उन्होंने कई मंत्रालयी भूमिकाओं में काम किया और बाद में मेघालय के मुख्यमंत्री बने। लापांग अपनी राजनीतिक सूझबूझ और मिलनसार स्वभाव के लिए जाने जाते थे, उन्होंने अपनी सादगी और विनम्रता के कारण सभी राजनीतिक दलों और लोगों के बीच सम्मान अर्जित किया।

लापांग के शासन को लोगों ने खूब सराहा

मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने राज्य में शासन को मजबूत करने, विकास कार्यों का विस्तार करने और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के काफी प्रयासों किए थे जिन्हें खूब सराहना भी मिली थी। लापांग को राज्य में गठबंधन की राजनीति के मुश्किल समय में, अपने सहयोगियों और राजनीतिक जानकारों के बीच आम सहमति बनाने की अपनी क्षमता के लिए पहचाना जाता था। मेघालय के वर्तमान मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा ने एक्स पर पोस्ट शेयर कर लापांग की मौत पर दुख जताया है। उन्होंने लिखा, माहेह लापांग जनता के सच्चे नेता थे जिनकी सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता दशकों तक रही।

लापांग के निधन से राज्य में शोक की लहर

राजनीति में आने से पहले लापांग एक सड़क मजदूर के रूप में काम करते थे। साथ ही उन्होंने एक स्कूल उप-निरीक्षक के रूप में भी काम किया था। इन अनुभवों ने उन्हें ज़मीन से जोड़े रखा और आम नागरिकों के संघर्षों से परिचित कराया। सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के बाद भी, वह मेघालय में एक सम्मानित बुज़ुर्ग राजनेता बने रहे। उनके आजीवन योगदान को सम्मान देने के लिए, 2024 में री-भोई ज़िले में उनकी एक आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया गया था। उनके निधन की खबर से राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है।