Ganesh Chaturthi 2021: 10 सितंबर से शुरू होकर 19 सितंबर तक चलेगा गणेश चतुर्थी महोत्सव (Ganesh Chaturthi Festival)।- गणेश चतुर्थी के दिन 6 ग्रह बना रहे हैं शुभ संयोग। 19 सितंबर को किया जायेगा गणेश प्रतिमा का विसर्जन।
Ganesh Chaturthi 2021 : इस साल शुक्रवार 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi ) मनाई जाएगी। गणेश चतुर्थी मतबल विघ्नहर्ता मंगलमूर्ति भगवान गणेश जी का जन्मदिन। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी के ही दिन मां पार्वती ने गणेश जी को अपने मैल से बनाया था। हिंदू पंचांग (Hindu calendar) के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाते हैं। अनन्त चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन धूम-धाम के साथ भगवान गणेश की प्रतिमा को सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन किया जाता है। आइये जानते हैं गणेश चतुर्थी से जुड़ी कुछ महत्त्वपूर्ण बातों के बारे में ।
गणेश प्रतिमा स्थापना और विसर्जन की तारीख -
गणेश चतुर्थी उत्सव शुक्रवार 10 सितंबर से शुरू होगा, इस दिन से गणेश प्रतिमा की स्थापना शुरू हो जाएगी। इसके 10 दिन के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन का साथ 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी उत्सव समाप्त हो जाएगा।
गणेश चतुर्थी पूजन मुहूर्त (auspicious time) -
चतुर्थी की तिथि गुरुवार 9 सितंबर को रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर आरंभ होकर 10 सितंबर की रात्रि 9:57 तक रहेगी। गणेश चतुर्थी के 10 तारीख को दोपहर के समय पूजा का शुभ मुहूर्त है। यह मुहूर्त सुबह 11.21 बजे से दोपहर 1.33 बजे तक रहेगा। इसके अलावा चतुर्थी तिथि रात 9.57 बजे तक होने के चलते दिनभर पूजा-अर्चना की जा सकती है। अभिजीत मुहूर्त में गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पंचांग के अनुसार अभिजीत मुहूर्त 10 सितंबर को सुबह 11.55 से दोपहर 12.45 तक रहेगा।
बन रहा शुभ योग-
गणेश चतुर्थी पर इस बार शुभ योग भी बन रहा है। इस दिन ६ ग्रह मिलकर शुभ संयोग बना रहे हैं। गणेश चतुर्थी के दिन बन रहा ये संयोग लाभकारी है। चतुर्थी पर इस बार छह ग्रह अपनी श्रेष्ठ स्थिति में होंगे, जिसमें बुध कन्या राशि में, शुक्र तुला राशि में, राहु वृषभ राशि में, शनि मकर राशि में, केतु वृश्चिक राशि तथा शनि मकर राशि में होंगे। इन ग्रहों की ये स्थिति कारोबार करने वालों के लिए विशेष लाभकारी होगी।
पूजा करने का तरीका-
पूजा सामग्री-
चौकी या पाटा, जल कलश, लाल कपड़ा, पंचामृत, रोली, मोली, चावल, लाल चन्दन, जनेऊ, गंगाजल, सिन्दूर, चांदी का वर्क, लाल फूल या माला, इत्र, मोदक या लडडू, धानी, सुपारी, लौंग, इलायची, नारियल, फल, दूर्वा घास, पंचमेवा, घी का दीपक, धूप, अगरबत्ती और कपूर ।
पूजा का तरीका-
सबसे पहले स्नानादि करके स्वच्छ मन से भगवान गणेश का ध्यान करते हुए पूजा वाले स्थान पर मुंह पूर्व दिशा में या उत्तर दिशा में करके बैठ जाएं, हो सके तो इस दिन लाल कपड़े धारण करें। गणेश जी को लाल रंग पसंद हैं। इसके बाद हाथ में एक पान के पत्ते पर पुष्प, चावल और सिक्का रखकर सभी भगवान को याद करें। अपना नाम, पिता का नाम, पता और गोत्र आदि बोलकर गणपति भगवान का आवहन करें। सबसे पहले गणेश जी को गंगा जल से स्नान कराएं फिर पंचामृत से स्नान कराएं। उसके बाद एक बार फिर गंगा जल से स्नान करवा कर, गणेश जी को चौकी पर लाल कपड़े पर बिठाएं। चौकी पर गणेश जी के दोनों ओर ऋद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी रखें। गणेश जी को सिन्दूर लगाकर चांदी का वर्क और लाल चन्दन का टीका लगाएं। अक्षत (चावल) लगाएं, मौली और जनेऊ अर्पित करें। लाल रंग के पुष्प या माला आदि चढ़ाएं। इत्र, दूर्वा घास, नारियल पंचमेवा, फल अर्पित करें। लडडू का भोग लगाएं. लौंग इलायची अर्पित करें. दीपक, अगरबत्ती, धूप आदि जलाएं। प्रतिदिन गणपति अथर्वशीर्ष व संकट नाशन गणेश आदि स्त्रोतों का पाठ करें।