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सरकार का पराली मैनेजमेंट फेल: 3600 करोड़ खर्च पर किसानों को रास नहीं आई योजनाएं, तीन महीने फिर प्रदूषण से रहेगा बुरा हाल

सुप्रीम कोर्ट ने किसानों पर केस कर उन्हें जेल में बंद करने के कड़े निर्देश दिए हैं। इसके पीडि़त कई किसान अदालतों के धक्के खा रहे हैं, सजा भले 500 रुपए जुर्माने की हो, केस लड़ने में 20-25 हजार तक खर्च कर रहे हैं। कोर्ट के आदेश के बाद 15 से 30 सितंबर तक अकेले पंजाब में 51 एफआइआर दर्ज की गई और पराली जलाने के 95 मामले सामने आ चुके हैं।

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भारत

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Siddharth Rai

Oct 06, 2025

प्रकृति को मदद करने वाले अनगिनत जीवों की बलि चढ़ रही है तो आग से निकलने वाला धुआं फेफड़ों को बीमार कर रहा है।

सरकार का पराली मैनेजमेंट फेल (photo - ANI)

मानसून खत्म होने के बाद तीन महीने उत्तर भारत के आसमान पर प्रदूषण के बादल छाने को तैयार हैं। इसकी एक वजह धान की कटाई के बाद खेतों में बचे फसल के अवशेष यानी पराली जलाना भी है। केंद्र सरकार ने बीते सात साल में पराली के प्रबंधन के लिए 3,623 करोड़ रुपए खर्च किए, पराली निस्तारण की लाखों मशीनें पहुंचाईं, राज्य सरकारों ने भी सैकड़ों करोड़ खर्च किए, लेकिन किसानों के लिए इनकी व्यवहारिकता के बारे में सोचने में वे मात खा गए। समय पर मशीनें किराये पर न मिलने, इनकी ऊंची कीमतें, बायो डी-कंपोजर जैसे विकल्प प्रभावहीन रहने से किसानों की मुश्किलें बढ़ती गईं। नतीजा, किसानों को यह सरकारी पराली मैनेजमेंट रास नहीं आया।

अब सुप्रीम कोर्ट ने किसानों पर केस कर उन्हें जेल में बंद करने के कड़े निर्देश दिए हैं। इसके पीडि़त कई किसान अदालतों के धक्के खा रहे हैं, सजा भले 500 रुपए जुर्माने की हो, केस लड़ने में 20-25 हजार तक खर्च कर रहे हैं। कोर्ट के आदेश के बाद 15 से 30 सितंबर तक अकेले पंजाब में 51 एफआइआर दर्ज की गई और पराली जलाने के 95 मामले सामने आ चुके हैं। पत्रिका ने पूरे मामले की पड़ताल की, ग्राउंड पर किसानों से बात की, विशेषज्ञों की रिपोर्टों के विश्लेषण किए, और तैयार हुई यह विशेष रिपोर्ट।

राज्यसीआरएम फंड (करोड़ रुपये)मशीनों की संख्यासीएचसी (कस्टम हायरिंग सेंटर)
पंजाब1,7561,37,40725,417
हरियाणा1,08189,7706,775
उत्तर प्रदेश76468,4218,389
दिल्ली6247अनुपलब्ध
अन्य राज्य1890अनुपलब्ध

फंड और मशीनों की खरीद के बाद भी बिगड़े हालात

खेतों में पराली जलाने से रोकने के लिए सरकार 3,623 करोड़ रुपए की फसल अवशेष प्रबंधन - सीआरएम योजना सात वर्ष से चला रही है। इसका 48.46 फीसदी यानी करीब आधा फंड (1,756 करोड़ रुपए) अकेले पंजाब में खर्च हुआ। फिर भी 15 फीसदी किसान ही सीआरएम के लिए साथ आए। इसी योजना में केंद्र ने 41 हजार कस्टम हायरिंग सेंटर यानी सीएचसी बनवाए, जहां से किसान कृषि उपकरण व सीआरएम मशीनरी किराए पर ले सकते हैं। इन्हें फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 2.95 लाख मशीनें दी गईं। अब 2025 में पंजाब राज्य सरकार ने 500 करोड़ रुपए अतिरिक्त सब्सिडी देकर 15,613 सीआरएम मशीनें किसानों तक पहुंचाने की योजना बनाई है।

केंद्रीय मंत्री से सवाल-जवाब

किसान धीरे-धीरे अपना रहे सरकार के सुझाए उपाय : भूपेंद्र यादव, (केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री)

सरकारी योजनाएं किसानों को रास नहीं आईं। ऐसा क्यों?

  • पंजाब और हरियाणा में सरकारी योजनाओं को किसान धीरे-धीरे अपना रहे हैं। छोटे किसानों को मशीनें उपलब्ध कराने में जो कमियां मिल रही हैं, उन्हें दूर कर रहे हैं। जहां ज्यादा जरूरत है, वहां मशीनें बिना किराया लिए उपलब्ध करवा रहे हैं।

क्या सरकार विकल्पों पर विचार कर रही है? इन्सेंटिव भी तो दिए जा सकते हैं?

  • जी हां, सरकार योजनाओं पर प्रोत्साहन के तरीकों पर काम कर रही है। सीआरएम योजना मशीनरी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इसे किसानों तक पहुंचाने का काम कस्टम हायरिंग सेंटर कर रहे हैं।

किसान पराली जलाना रोक दें तो वायु प्रदूषण खत्म हो जाएगा?

  • धान की पराली जलाना एक सामयिक घटना है। इसे जलाने से बड़ी मात्रा में प्रदूषक तत्व निकलते हैं। जो इसी समय दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

किसानों को जिम्मेदार ठहराकर उद्योगों और वाहनों से ध्यान हटाया जा रहा है?

  • उद्योग और परिवहन से होने वाला प्रदूषण पूरे साल की समस्या है। वहीं पराली जलाने से अक्टूबर-नवंबर में कुछ समय के लिए मेरा मानना है कि मौसम से बने हालात की प्रदूषण बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका है।