
Govt may curb export of rice to maintain food security
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल एक्सपोर्टर है लेकिन अब घरेलू मार्केट में इसकि सप्लाइ में कमी के बाद सरकार बड़ा फैसला ले सकती है। भारत सरकार चावल एक्सपर्ट पर आंशिक बैन लगा सकती है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह चावल के उत्पादन में कमी आने की संभावना है। अनुमान के मुताबिक कुछ जगहों पर बारिश में कमी के कारण 2022-23 में चावल के उत्पादन में करीब एक करोड़ टन की कमी आ सकती है।
इसके अलावा, ग्लोबल फूड मार्केट में चावल की सप्लाइ में भी कमी आई है जिसका असर सीधा घरेलू बाजार पर भी पड़ सकता है। इस वजह से भी सरकार चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने पर विचार कर रही है।
दुनिया के चावल ट्रेड में भारत की 40 फीसदी है हिस्सेदारी
इससे पहले सरकार ने गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था क्योंकि भीषण गर्मी के कारण गेहूं का उत्पादन अनुमानित रूप से 2.5% कम रहा था। हालांकि भारत गेहूं से अधिक चावल का निर्यात है। 2021-22 में, देश ने लगभग 22 मिलियन टन चावल का निर्यात किया था जो इसके कुल उत्पादन का लगभग छठा हिस्सा है। दुनिया के चावल शिपमेंट में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी है। यदि भारत चावल के निर्यात पर किसी भी तरह का प्रतिबंध लगाता हु तो चावल की आपूर्ति की कमी से जूझ रहे देशों की मुश्किलें और बढ़ जाएगी।
चावल के निर्यात पर बैन बढ़ा सकता है अन्य देशों की मुश्किलें
भारत द्वारा किये जाने वाले चावल के कुल एक्सपोर्ट में टूटे चावल का हिस्सा 20 फीसदी है और भारत सरकार इसी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। इस मुद्दे पर खाद्य और वाणिज्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय ने किसी भी तरह की टिप्पणी से इनकार कर दिया है।
हालांकि, केंद्र सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि भारत के पास अपनी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त अनाज का भंडार है। ऐसे में घरेलू मार्केट में किसी भी तरह कमी से निपटने के लिए पहले ही भारत सरकार तैयारी कर रही है।
Published on:
27 Aug 2022 03:51 pm
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