
Gita Gopinath (Courtesy: ANI)
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की पहली उप प्रबंध निदेशक (First Deputy Managing Director) और भारतीय मूल की प्रसिद्ध अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) अगस्त 2025 के एंड में अपनी जिम्मेदारी छोड़कर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) में प्रोफेसर के रूप में वापस लौटेंगी। IMF ने कल यानी 21 जुलाई 2025 को इसकी घोषणा करते हुए जानकारी दी। जिससे वैश्विक आर्थिक मंच पर भारत की प्रभावशाली उपस्थिति को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
गीता गोपीनाथ ने 2019 में IMF में पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में कदम रखा और 2022 में उन्हें प्रथम उप प्रबंध निदेशक के पद पर पदोन्नत किया गया। इस पद पर वह IMF की दूसरी सबसे बड़ी अधिकारी थीं, जो संगठन के वैश्विक आर्थिक नीतियों, अनुसंधान और निगरानी कार्यों को संचालित करती थीं। उनकी अगुवाई में IMF ने कोविड-19 महामारी, आपूर्ति श्रृंखला संकट, और जलवायु वित्त जैसे वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गीता गोपीनाथ का IMF से जाना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत के वैश्विक आर्थिक मंच पर प्रभाव को कम कर सकता है, क्योंकि गोपीनाथ ने न केवल भारत की आर्थिक नीतियों को वैश्विक मंच पर मजबूती दी, बल्कि भारत की आर्थिक प्रगति को भी रेखांकित किया। उनकी सलाह और विश्लेषण ने भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार नीतियों में महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में मदद की थी।
कुछ लोगों के तर्क के अनुसार गोपीनाथ का हार्वर्ड में वापस लौटना और वहां से वैश्विक आर्थिक अनुसंधान को प्रभावित करना भारत के लिए दीर्घकालिक लाभकारी हो सकता है। वह हार्वर्ड में ‘ग्रेगरी और अनिया कॉफी प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक्स’ के रूप में अपनी नई भूमिका में अगली पीढ़ी के अर्थशास्त्रियों को प्रशिक्षित करेंगी, जिसका असर वैश्विक नीतियों पर पड़ सकता है।
IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जिएवा ने कहा कि गोपीनाथ ने असाधारण बौद्धिक नेतृत्व प्रदान किया, खासकर महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक संकटों के दौरान। जॉर्जिएवा जल्द ही गोपीनाथ के उत्तराधिकारी की घोषणा करेंगी। परंपरागत रूप से, इस पद के लिए उम्मीदवार की सिफारिश अमेरिकी ट्रेजरी द्वारा की जाती है, जो IMF में सबसे बड़े शेयरधारक के रूप में अपनी भूमिका निभाता है।
भारतीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में कहा, "स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति के पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं।" धनखड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसद सदस्यों के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उनके इस्तीफे ने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी।
Published on:
22 Jul 2025 10:08 am
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