
,,,,अविश्वास से दुनिया में बढ़ा संकट किसी के हित में नहींः मोदी
नई दिल्ली। इजरायल और आतंकी संगठन हमास के बीच चल रहे खूनी संघर्ष के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के देशों को आतंक के खिलाफ चेताया है। उन्होंने कहा कि अविश्वास के चलते दुनिया में बढ़ रहा संकट और आपसी टकराव किसी के हित में नहीं है। यह समय युद्ध नहीं, शांति का है और इस दौर में सभी को साथ मिलकर चलना होगा। आतंक का मुकाबला मिलकर करना होगा।
मोदी ने भारत की मेजबानी में हो रहे G-20 देशों की संसदीय संस्थाओं के प्रमुखों के नौंवे P-20 शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद कहा कि दुनिया के सभी देशों को वैश्विक विश्वास के संकट से उबरकर मानव-केंद्रित सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। दुनिया को एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना से देखना होगा। बंटी हुई दुनिया वैश्विक चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकती। वैश्विक निर्णयों में व्यापक भागीदारी पर बल देते हुए मोदी ने कहा कि अफ्रीकी संघ को G-20 में शामिल करने के प्रस्ताव के पीछे यही उद्देश्य था जिसे सभी सदस्यों ने स्वीकार कर लिया। प्रधान मंत्री ने P-20 के मंच में पैन अफ्रीका की भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की।
आतंकवाद गम्भीर चुनौती
आतंक को एक बड़ी चुनौती बताते हुए मोदी ने कहा कि भारत कई दशकों से सीमा पार आतंकवाद का सामना कर रहा है। करीब 20 साल भारत की संसद को भी निशाना बनाया गया। उस वक्त संसद का सत्र चल रहा था। आतंकियों की साजिश सांसदों को बंधक बनाकर उन्हें जान से मारने की थी। भारत का इस चुनौती का सामना करते हुए आगे बढ़ा है। आज दुनिया भी मान रही है कि आतंक एक गम्भीर चुनौती है। आतंकवाद चाहे कहीं भी हो, किसी भी कारण से हो, किसी भी रूप में हो, वह मानवता के खिलाफ होता है, लेकिन अफसोस है कि आज तक इसकी परिभाषा को लेकर भी आम सहमति नहीं बन सकी है। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र में आतंक से मुकाबले के लिए अन्तरराष्ट्रीय कन्वेंशन भी इसका इंतजार कर रहा है। मानवता के दुश्मन आतंकी इसी का फायदा उठा रहे हैं। संसदों और दुनिया को यह सोचना होगा कि हम कैसे मिलकर आतंक का मुकाबला कर सकते हैं।
भारत लोकतंत्र की जननी
मोदी ने भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए कहा भारत की धरती पर हो रहा यह शिखर सम्मेलन पूरी दुनिया की सभी संसदीय प्रथाओं का एक 'महाकुंभ' है। प्राचीनकाल से भारत की सशक्त लोकतांत्रिक परम्पराओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि समय के साथ भारत की संसदीय परंपराओं का निरंतर विकास हुआ है। ये परम्पराएं और सशक्त हुई हैं। देश के चुनावों में लोगों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। साल 2019 में हुए पिछले आम चुनाव में देश के 91 करोड़ मतदाताओं में से 60 करोड़ से ज्यादा ने मतदान किया। पूरे यूरोप की जनसंख्या से भी अधिक यह आंकड़ा भारतीयों की संसदीय प्रथाओं में गहरी आस्था को दर्शाता है। मोदी ने हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने का उल्लेख करते हुए कहा कि देश की संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का कानून बनाया गया है।
दुनिया को हमेशा परिवार मानाः बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि P-20 शिखर सम्मेलन लोकतांत्रिक मूल्यों, अंतरराष्ट्रीय सहयोग व वैश्विक महत्व के विषयों और समकालीन चुनौतियों के समाधान के लिए संयुक्त संसदीय प्रयासों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 'वसुधैव कुटुंबकम' के सिद्धांत पर चलते हुए भारत ने हमेशा दुनिया को एक परिवार माना है। अंतर-संसदीय संघ (IPU) के अध्यक्ष दुआर्ते पचेको ने G-20 शिखर सम्मेलन के सफल नेतृत्व के लिए मोदी को बधाई दी। उन्होंने सम्मेलन में गर्मजोशी से स्वागत व आतिथ्य सत्कार के लिए बिरला की सराहना भी की।
Published on:
14 Oct 2023 09:58 am
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