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भारत-अमरीका के बीच जेट इंजन डील से चीन-पाकिस्तान की नींद उड़ी, रूस भी टेंशन में!

India America Fighter Jet Engine Deal: भारत और अमरीका के बीच जीई-एफ414 इंजन (GE-F414 Engine) को लेकर जो डील हुआ है, वह अपने आप में ऐतिहासिक है। इसे मील का पत्थर माना जा रहा था। इस डील के बाद अब भारत में फाइटर प्लेन के इंजन बनेंगे।

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भारत-अमरीका के बीच जेट इंजन डील से चीन-पाकिस्तान की नींद उड़ी, रूस भी टेंशन में!

भारत-अमरीका के बीच जेट इंजन डील से चीन-पाकिस्तान की नींद उड़ी, रूस भी टेंशन में!

India America Fighter Jet Engine Deal: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान भारत और अमरीका में कई समझौते हुए। दोनों देशों ने एक-दूसरे को विकास का साझेदार बताते हुए फ्यूचर का रोडमैप तय किया। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय बातचीत और फिर पीएम मोदी के अमरीकी कांग्रेस के संबोधन के दौरान दोनों देशों के मजबूत रिश्ते की तस्वीर भी दिखी। इस यात्रा के दौरान भारत-अमरीका के बीच फाइटर जेट इंजन (GE-414 Engine Deal) बनाने का एक बड़ा डील भी हुआ। इस डील से भारत के पड़ोसी देश चीन-पाकिस्तान की नीदें उड़ गई है। साथ ही रूस भी टेंशन में आ गया है। इस डील की पूरी कहानी क्या है? क्यों इस डील से पड़ोसी देशों की नीदें उड़ गई? रूस इस डील से क्यों टेंशन में है? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब इस स्पेशल रिपोर्ट में-


सबसे पहले जानिए क्या है भारत-अमरीका फाइटर जेट इंजन डील

पीएम मोदी की अमरीकी यात्रा के दौरान फाइटर जेट बनाने वाली अमरीकी कंपनी जीई एयरोस्पेस (GE Aerospace) और भारतीय कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच एक समझौता हुआ। इस समझौते के अनुसार दोनों कंपनियां मिलकर भारत में फाइटर जेट इंजन बनाएगी। अभी तक भारत क्या पूरे एशिया में फाइटर जेट का इंजन नहीं बनता है। ऐसे में भारत एशिया का पहला देश होगा, जहां फाइटर जेट (GE-414 Engine) का इंजन बनेगा।

डील के अनुसार भारत में अत्याधुनिक एफ 414 इंजन बनाए जाएंगे। इस डील के बारे में अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, हम साथ मिलकर दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए रास्ता खोल रहे हैं। जीई एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने भारत में एफ 414 लड़ाकू जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर लिए हैं। ये सौदा बहुत ही अहम है।'



अब जानिए भारत में बनाए जाने वाले फाइटर जेट इंजन की खासियत

अमरीकी कंपनी जीई एयरोस्पेस के अनुसार GE-414 इंजन टर्बोफैन इंजन है, जो हल्का होता है। इंजन 22,000 पौंड या 98 केएन के थ्रस्ट क्लास में हैं। इसमें फुल अथॉरिटी डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल (FADEC) जैसी उन्नत तकनीक है, जो इंजन को डिजिटल तरीके से कंट्रोल करता है। इस इंजन ने अब तक 50 लाख से अधिक घंटे की उड़ान भरी है। इसे बनाने वाली कंपनी अब तक 1600 से अधिक इंजन बना चुकी है, जिसका फाइटर जेट्स में इस्तेमाल हो रहा है।

GE-414 इंजन का इस्तेमाल अमरीकी नेवी 30 से भी ज्यादा सालों से कर रही है। इसे कई बार जांचा-परखा जा चुका है। इस इंजन की लाइफ लाइन बढ़ाने के लिए इसमें अव्वल दर्जे का कूलिंग सिस्टम लगाया गया है। इससे इंजन के सुरक्षित होने के साथ-साथ उसकी क्षमता भी बढ़ जाती है। अमरीका के अत्याधुनिक ग्रिपेन ई/एफ फाइटर्स एफ414जी का इस्तेमाल किया जाता है।


भारत के लिए GE-F414 इंजन खास क्यों?

मिली जानकारी के अनुसार भारत GE-F414 इंजन को अपने तेजस एमके2 एयरक्राफ्ट में लगाएगा। इस तकनीक से तेजस और भी एडवांस हो जाएगा। बताया गया कि तेजस में इस इंजन का प्रयोग करने के लिए 2010 में सुझाव दिया गया था। इस समय तेजस में इस इंजन का बेसिक डिजाइन GE-404-IN20 इंजन का इस्तेमाल हो रहा है। जो 50 साल पहले बनाया गया था।

भारत और अमरीका के बीच GE-F414 इंजन तकनीक को लेकर डील पक्की हो जाने के बाद भारत अब उन देशों की सूची में शामिल हो गया, जो खुद फाइटर जेट्स इंजन तैयार करते हैं। अभी अमरीका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे कुछ ही देशों ने लड़ाकू विमानों में इस तरह के इंजन के इस्तेमाल में महारत हासिल की है। चीन भी इस मामले में अभी पीछे है।


चीन और पाकिस्तान की नीद हराम, रूस भी टेंशन में

इस डील के बाद भारत के दो पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ गई है। चीन-पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते अक्सर तनातनी रहती है। इन दोनों देशों से पहले भारत ने इस तकनीक को हासिल कर लिया है। ऐसे में चीन-पाकिस्तान दोनों चिंतित है। एशियाई देशों में डिफेंस सेक्टर में भारत की टक्कर चीन से होती है। ऐसे में इस डील से भारत चीन से आगे निकल गया है।

इस सौदे से भारत सैन्य जेट की दुनिया में पूरे एशिया का सबसे ताकतवर देश हो जाएगा। इस सौदे को व्यापक असर चीन से दोनों ही देशों की दुशमनी पर पड़ेगा। भारत का दुश्मन चीन इस तरह के सैन्य जेट के लिए रूस पर निर्भर करता है। ऐसे में इस डील से रूस भी टेंशन में है। भारत लंबे समय से रक्षा उपकरणों के लिए रूस पर निर्भर रहता था। ज्यादातर खरीदारी रूस से होती थी। लेकिन जीई-414 इंजन की डील में अमरीका ने बाजी मार ली है।

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