
Nagastra-1: अरबपति टेक कारोबारी एलन मस्क ने एक बार कहा था कि भविष्य में वह देश ही युद्ध जीतेगा, जिसके पास सबसे अच्छे ड्रोन होंगे। शायद अब ऐसा होता हुआ भी दिख रहा है। भारतीय सेना को 'सुसाइड ड्रोन' - 'नागास्त्र-1' का पहला बैच प्राप्त हुआ है। इस ड्रोन की खासियत है कि ये सैनिकों की जान खतरे में डाले बिना आसानी से दुश्मन के ट्रेनिंग कैंप या लॉन्च पैड पर हमला कर सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इन ड्रोन्स को भारत की कंपनी इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड (EEL) की ओर से बनाया गया है, जो कि नागपुर स्थित सोलार इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी है।
सेना की ओर से 480 ऐसे ड्रोन का ऑर्डर ईईएल को दिया गया था, जिसमें से 120 डिलीवर किया जा चुका है। 'नागास्त्र-1' एक सुसाइड ड्रोन है। इसके काम करने का तरीका आम ड्रोन से काफी अलग होता है। इसकी खास बात यह है कि जैसे इसे अपना लक्ष्य मिलता है ये उसमें क्रैश हो जाता है और लक्ष्य को समाप्त कर देता है।
इसके अलावा इन ड्रोन्स की खासियत है कि इनका टारगेट मिड-फ्लाइट के दौरान भी बदला जा सकता है। इसका फायदा यह है कि अधिक कुशलता के साथ लक्ष्य को भेदने में आसानी रहती है। 'कामिकेज मोड' में जीपीएस-सक्षम यह ड्रोन 2 मीटर की सटीकता के साथ किसी भी खतरे को बेअसर कर सकता है।
इस फिक्स्ड-विंग इलेक्ट्रिक मानवरहित एरियल वाहन (यूएवी) का वजन करीब 9 किलो है और इसकी ऑटोनोमस मोड रेंज करीब 30 किलोमीटर की है। यह एक किलो के वारहेड के साथ 15 किलोमीटर तक जा सकता है। इसका अपग्रेडेड वर्जन 2.2 किलो के वारहेड के साथ 30 किलोमीटर तक जा सकता है। अगर टारगेट नहीं मिलता है या फिर मिशन को समाप्त कर दिया जाता है तो इस ड्रोन को वापस भी लिया जा सकता है। इसमें लैंडिंग के लिए पैराशूट सिस्टम दिया गया है। ऐसे इसे कई बार उपयोग में लाया जा सकता है।
Published on:
15 Jun 2024 06:34 pm
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