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International Widows Day 2024: कब है अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस? जानें इतिहास, महत्व और विधवाओं की आम समस्याएं!

International Widows Day 23 June: अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस (International Widows day) उन चुनौतियों एवं भेदभाव को उजागर करता है, जिनका सामना लगभग हर विकासशील एवं निम्न आय वाले देशों की बेबस विधवाएं करती हैं।

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International Widow day

कब है इंटरनेशनल विधवा दिवस

International Widows Day 23 June: वैश्विक स्तर पर विधवा दिवस (International Widows Day) की स्थापना संयुक्त राष्ट्र (UN) की ओर से 2010 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न देशों में करोड़ों विधवाओं एवं उनके आश्रितों की आर्थिक समस्या और सामाजिक अन्याय की ओर आम लोगों का ध्यान आकर्षित करना था। इनका मेन उद्देश्य विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को उनके कल्याणकारी कार्यों के लिए प्रेरित करना है। अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस (International Widow day) उन चुनौतियों एवं भेदभाव को उजागर करता है, जिनका सामना लगभग हर विकासशील एवं निम्न आय वाले देशों की बेबस विधवाएं करती हैं, जिन्हें आये दिन आर्थिक अभाव, सामाजिक कलंक और तमाम भेदभाव से पीड़ित होना पड़ता है। अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस की 14 वीं वर्षगांठ पर आइये जानते हैं इस दिवस के इतिहास, महत्व और विधवा की जिंदगी गुजार रहीं विधवाओं की मूल समस्याओं के बारे में विस्तार से-

अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस का महत्व (Importance of International Widow Day)

विधवा होना किसी भी महिला के संपूर्ण जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप कहा जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 'दुनिया भर में कई महिलाओं के लिए अपने जीवन साथी को खोने का दर्द, उनके बुनियादी अधिकारों और सम्मान के लिए लंबे समय तक चलने वाली लड़ाई से और भी बढ़ जाता है। तमाम कोशिशों के बावजूद आज भी दुनिया भर में 25.8 करोड़ से अधिक महिलाएं विधवा का जीवन जी रही हैं। हमारे समाज में ऐतिहासिक रूप से विधवाओं को अनदेखा, असमर्थित और अप्रमाणित छोड़ दिया गया है। अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस का मुख्य मकसद विधवाओं के समक्ष आने वाले उत्तराधिकार अधिकारों से वंचित करने, आर्थिक समस्याएं, लिंग भेदभाव, सामाजिक बहिष्कार, जबरन पुनर्विवाह, जैसे तमाम मुद्दों को उजागर करना तथा कानून बनाकर उनके लिए स्थायी समाधान ढूंढना है।

अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस का इतिहास  (History of International Widow Day)

विधवाओं की आर्थिक, व्यावहारिक एवं सामाजिक समस्याओं के निरंतर बढ़ते दायरे को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 21 दिसंबर 2010 को 'विधवाओं और उनके बच्चों के समर्थन में' नामक प्रस्ताव पारित करके आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने की घोषणा की थी। अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस का इतिहास यूनाइटेड किंगडम (UK) स्थित लूम्बा फाउंडेशन से जुड़ा है। यह फाउंडेशन लॉर्ड राज लूम्बा द्वारा स्थापित एक धर्मार्थ ट्रस्ट है, जो विधवाओं के सशक्तिकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करता है।

विधवा महिलाओं की सामान्य समस्याएं

* आर्थिक समस्याएंः पति के अवसान के पश्चात घरेलू महिला को सबसे ज्यादा आर्थिक हालात परेशान करते हैं, क्योंकि पति को खोने के, बाद उनकी आय का जरिया लगभग बंद हो जाता है।

* सामाजिक प्रताड़नाएंः हमारे समाज में विशेषकर भारत में विधवाओं को बड़ी नीची नजरों से देखा जाता है। मानवीय संवेदनाओं से परे उनका मानसिक एवं शारीरिक शोषण होता है।

* कानूनी समस्याएंः पति के निधन के बाद अकसर संपत्ति के अधिकार और उत्तराधिकार के मामलों में विधवाओं को तमाम कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है।

* शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्यः पति की मृ्त्यु के पश्चात अकसर विधवा तनाव और अवसाद के दौर से गुजरती है।