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बांस की मदद से बायो-एनर्जी पैैदा करना संभव, साबित होगा अक्षय ऊर्जा का साफ-सुथरा स्रोत

नया शोध : कार्बन डाईऑक्साइड सोखकर देता है भरपूर ऑक्सीजन

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बांस की मदद से बायो-एनर्जी पैैदा करना संभव, साबित होगा अक्षय ऊर्जा का साफ-सुथरा स्रोत

बांस की मदद से बायो-एनर्जी पैैदा करना संभव, साबित होगा अक्षय ऊर्जा का साफ-सुथरा स्रोत

नई दिल्ली. बांस की मदद से बायो-एनर्जी पैदा की जा सकती है। यह आने वाले समय में जीवाश्म ईंधन की जगह ले सकती है। यह पर्यावरण अनुकूल होने के साथ अक्षय ऊर्जा का साफ-सुथरा स्रोत है। जर्नल जीसीबी बायो-एनर्जी में प्रकाशित शोध के मुताबिक बांस, घास की ऐसी प्रजाति है, जो बहुत जीवट होती है। यह खराब और बंजर जमीन पर भी उग सकती है। यह वातावरण से कार्बन डाईऑक्साइड सोख लेती है और बदले में भरपूर ऑक्सीजन छोड़ती है।शोधकर्ताओं का कहना है कि बांस के जरिए बायो-एथेनॉल, बायो-गैस और अन्य बायो-एनर्जी उत्पाद बनाए जा सकते हैं। बांस में काफी मात्रा में सेल्युलोज और हेमीसेल्युलोज होता है, जिसे चीनी के घटक में बदला जा सकता है। यह बांस को ऊर्जा पैदा करने का आदर्श घटक बनाता है। हंगेरियन यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता झीवेई लियांग का कहना है कि हमने बांस के बायो-मास को ऊर्जा में तब्दील करने के लिए कई विधियों की समीक्षा की। इससे पता चला कि बांस से प्राप्त कच्चे माल को बायो-एथेनॉल, बायो-गैस और अन्य बायो-एनर्जी उत्पादों में बदलने के लिए किया जा सकता है।

देश में सर्वाधिक उत्पादन एमपी में

कश्मीर को छोडक़र पूरे भारत में बांस प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बांस का उत्पादन होता है। दुनियाभर में इसकी 1662 प्रजातियां हैं। इनमें से 130 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं। बांस उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है।

करोड़ों का कारोबार

भारतीय बांस उद्योग हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2,040 करोड़ और देश में 4,463 करोड़ रुपए का व्यापार करता है। निर्माण संबंधी कार्यों के साथ इसकी मदद से दैनिक उपयोग की कई चीजें बनाई जाती हैं।