
इस स्थानों पर होता है जन्माष्टमी का भव्य आयोजन ( प्रतिकात्मक तस्वीर)
हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तीथी को देशभर में जोरों शोरों से कृष्ण कन्हैया का जन्मोत्सव मनाया जाता है। देश के अलग अलग राज्यों में अलग अलग तरीकें से लड्डू गोपाल के जन्म का उत्सव होता है और वातावरण भक्ति भाव में डूब जाता है। कृष्ण जन्मोत्सव के इस मौके पर विभिन्न तरीकों से भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार के जन्म का जश्न मनाया जाता है। कहीं पर दही हांडी से तो कहीं पर सुंदर झांकियां सजा कर लोग अपने भक्ति भावों को प्रदर्शित करते है। हमारे देश में कृष्णजन्मोत्व का उल्लास इतना अधिक है कि इसकी सुंदरता और भव्यता विदेशी सैलानियों को भी आकर्षित करती है। दुनिया भर से लोग भारत में नंदलाला के जन्म का त्यौहार मनाने पहुंचते है।
देश में कई जगह ऐसे बेहतरीन आयोजन किए जाते है जिसे देखने लोग दूर दूर से आते है। इस साल जन्माष्टमी का त्यौहार शनिवार, 16 अगस्त को मनाया जाएगा। अगर आप भी इस जन्माष्टमी किसी ऐसी ही कार्यक्रम का हिस्सा बनना चाहते है जहां आप कृष्ण जन्मोत्सव का आनंद ले सके और कन्हैया की भक्ति के रस में डूब सके तो यह कुछ जगह आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकती है।
मथुरा को भगवान कृष्ण की जन्मस्थली कहा जाता है। यहां जन्माष्टमी के दिन बहुत ही भव्य कार्यक्रम का आयोजन होता है। पूरे शहर को जगमगाती रोशनी से सजाया जाता है। दूर दूर से श्रद्धालु यहां भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव में हिस्सा लेने पहुंचते है। जन्मभूमि मंदिर में देर रात 12 बजे भगवान का अभिषेक किया जाता है और खुबसूरत झांकियां भी सजाई जाती है।
मथुरा और वृंदावन दोनों ही कृष्ण भगवान के सबसे करीबी जगहों में से है। मथुरा में भगवान का जन्म हुआ और वृंदावन में उनका बचपन बिता। मथुरा की तरह ही वृंदावन में जन्माष्टमी के दिन बहुत ही भव्य कार्यक्रम का आयोजन होता है। वृंदावन के बांके बिहारी, इस्कॉन, राधा रमण और गोविंद देव जी जैसे मंदिर दुनियाभर में मशहूर है। यहां दस दिन पहले से ही जन्मोत्सव शुरु हो जाता है। इस दौरान रासलीला नाटक आयोजित होते है मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है और भजन कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वारका वह स्थान है जहां कृष्ण भगवान ने शासन किया था। इसलिए ही उन्हें द्वारकाधीश भी कहा जाता है। यहां भगवान कृष्ण का भव्य मंदिर मौजूद है जिसमें सुबह सुरज उगने से लेकर रात 12 बजे कृष्ण भगवान के जन्म तक अलग अलग रस्में निभाई जाती है और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
पश्चिम बंगाल आमतौर पर अपने दुर्गा पूजा के आयोजनों के लिए जाना जाता है। लेकिन आप जान कर हैरान हो जाएंगे कि कृष्ण जन्मोत्स का भी यहां बहुत ही बड़े स्तर पर आयोजन किया जाता है। राज्य का मायापुर शहर इस्कॉन का मुख्यालय है और दुनिया भर से कृष्ण भक्त यहां जन्माष्टमी मनाने पहुंचते है। मंदिर परिसर लोगों से पूरी तरह भर जाता है और दिन भर भजन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसके बाद रात 12 बजे भगवान का भव्य अभिषेक किया जाता है।
ओडिशा के जगन्नाथ पूरी मंदिर में भी जन्माष्टमी का शानदार उत्सव मनाया जाता है। सप्ताह भर पहले से ही यहां कृष्णा के जन्म की तैयारी शुरु हो जाती है और कृष्ण लीलाओं से जुड़े नाटकों का मंचन किया जाता है। यहां वहां के मंदिरों से जुड़ी एक विशेष परंपरा है जिसके अनुसार अधिकतर सभी स्थानीय मंदिरों में कंस वध, कालिया दहन और पूतना वध समेत कृष्ण भगवान की बाल लीलाओं का मंचन होता है।
महाराष्ट्र में दही हांडी के साथ कृष्ण भगवान के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान बड़े बड़े कार्यक्रमों का आयोजन होता है जहां ऊंची ऊंची दही हांडी लगाई जाती है और दूर दूर से टीमें आकर इसे तोड़ने का प्रयास करती है। लोग मानव पिरामिड बना कर इस हांडी तक पहुंचते है और फिर दही और मक्खन से भरी मटकी को तोड़ते है। मुंबई और पुणे जैसे बड़े शहरों में बहुत बड़े स्तर पर दही हांडी का आयोजन होता है।
Published on:
15 Aug 2025 06:26 pm
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