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जातिगत जनगणना पर अब नीतीश के ही सासंद ने उठाए सवाल, कहा- दोबारा हो सर्वे

JDU MP: जद(यू) सांसद सुनिल कुमार पिंटू ने नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट जातिगत जनगणना पर सवाल उठाते हुए कहा कि जातिगत गणना की रिपोर्ट गलत है।

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jdu mp sunil kumar pintu now raised questions on caste census

दो अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर बिहार सरकार की ओर से जारी की गई जातीय गणना की रिपोर्ट पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। अब तक सिर्फ ट्रांसजेंडर समुदाय, भाजपा और कांग्रेस ने ही सवाल उठाया था। वहीं, अब खुद जनता दल यूनाइटेड के सीतामढ़ी से सांसद सुनिल कुमार पिंटू ने जाति आधारित जनगणना पर सवाल उठाते हुए उसे गलत करार दिया है।

ठीक से नहीं हुई गिनती- जद(यू) सांसद

जद(यू) सांसद सुनिल कुमार पिंटू ने राज्य के CM नीतीश कुमार और डिप्टी CM तेजस्वी यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट जातिगत जनगणना पर सवाल उठाते हुए कहा कि जातिगत गणना की रिपोर्ट गलत है। इसमें तेली समाज की गणना ठीक से नहीं की गई है। लोग खुद आगे से चलकर आ रहे हैं, उनके कॉल भी आ रहे हैं। लोगों का कहना है कि जातिगत गणना में जो आंकड़े पेश किए गए हैं, तेली समाज की आबादी उससे कहीं बहुत अधिक ज्यादा है। समाज के लोगों की गिनती ठीक से नहीं हुई है।

दोबारा गणना कराने की मांग करेंगे सांसद

जदयू सांसद सांसद सुनील कुमार पिंटू ने गुरूवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे पर पटना में 8 अक्टूबर को तेली समाज के लोगों की बैठक होगी। इसके साथ ही सीएम नीतीश कुमार को ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसमें जिलेवार आंकड़ा सीएम के समझ रखा जाएगा, जिसके आधार पर जातिगत जनगणना की जांच करने और दोबारा गणना कराने की मांग की जाएगी।

उन्होंने कहा कि तेली यानी मेरे समाज के लोगों को इंसाफ मिलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गणना की रिपोर्ट को लेकर मेरी ओर से कोई राजनीति नहीं की जा रही है और न ही जातीय गणना को गलत बता रहा हूं। मैं बस अपने समाज के लोगों का पक्ष सामने रख रहा हूं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने भी उठाए थे सवाल

बता दें कि इसी मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री रहें उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को प्रदेश रालोजद कैम्प कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए सवाल उठाया था। सभागार में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सहित कई पंचायत प्रतिनिधियों के रालोजद में शामिल होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जातीय गणना के आकड़े जारी होने के बाद से कई कमजोर एवं अतिपिछडा वर्ग के लोगों ने लगातार शिकायत की है कि उनसे अभी तक किसी ने सम्पर्क नहीं किया है।

इसलिए ऐसी आशंका है कि क्या किसी जाति विशेष की संख्या बढ़ाने के लिए कमजोर वर्ग जैसे चंद्रवंशी, मलाह, नोनिया, रजक, धनुक जाति के लोगों की संख्या कम करके बताया गया है।

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