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Lok Sabha Elections: झारखंड की वो सीट जहां ‘बागी’ ने बिगाड़ा मोदी की मंत्री का खेल! महागठबंधन झोंक रहा ताकत

Ground Report Kodarma Lok Sabha: अभ्रक नगरी कोडरमा लोकसभा सीट में पलायन बड़ा मुद्दा है, यहां से मोदी की मंत्री अन्नपूर्णा को घेरने के लिए महागठबंधन की ओर से विनोद कुमार सिंह को उतारा गया है, यहां हो रहे विधानसभा उपचुनाव में पूर्व सीएम की पत्नी कल्पना भी चुनाव लड़ रही है। पढ़ें कोडरमा (झारखंड) से राजेन्द्र गहरवार की ग्राउंड रिपोर्ट…

नई दिल्लीMay 19, 2024 / 03:11 pm

Anish Shekhar

Lok Sabha Elections: झारखंड में सबसे दिलचस्प चुनाव अभ्रक नगरी कोडरमा लोकसभा सीट पर हो रहा है। जिस पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हैं। वजह इसी सीट में शामिल गिरीडीह जिले की गांडेय विधानसभा सीट का उपचुनाव है। जहां से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन चुनाव मैदान में हैं। 20 मई को लोकसभा के साथ ही इस विधानसभा के लिए भी वोट डाले जाएंगे। पति हेमंत के जेल जाने के बाद कल्पना ने जिस तरह से राजनीतिक मोर्चा संभाला है, उसने सभी को चौंका दिया है। उनके साथ ही केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी का भी भविष्य दांव पर लगा हुआ है। जो कोडरमा सीट से दूसरी बार लोकसभा चुनाव में उतरी हैं।
राष्ट्रीय जनता दल से राजनीतिक सीढिय़ा चढकऱ भाजपा में पहुंची अन्नपूर्णा देवी 2019 के लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीती थीं। तब उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा के नेता बाबूलाल मरांडी को 4.55 लाख मतों से हराया था। वहीं, महागठबंधन के कोटे से उतरे भाकपा माले के उम्मीदवार राजकुमार यादव जमानत नहीं बचा पाए थे। इसके बाद वे केंद्र में मंत्री बनीं। अब मरांडी भाजपा में हैं और अन्नपूर्णा के लिए रणनीति बना रहे हैं। कोडरमा से ही मरांडी तीन बार सांसद भी रह चुके हैं।

अन्नपूर्णा के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी

क्या इस बार भी सबकुछ उतना ही आसान है, इस सवाल पर अधिवक्ता प्रदीप पाण्डेय कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी चेहरा हैं और इसी वजह से माहौल बना हुआ है। पाण्डेय मोदी के बड़े प्रशंसक हैं पर यह स्वीकार करते हैं कि क्षेत्र में जबर्दस्त एंटी इंकम्बेंसी है। लोगों की शिकायत है कि अन्नपूर्णा देवी केंद्र में मंत्री रहते हुए कोडरमा भर ही नहीं बल्कि झारखंड के लिए कुछ नहीं किया। क्षेत्र में सक्रियता कम रही है। तीन दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोडरमा में चुनावी सभा की थी। उन्होंने कहा था कि कोई कसर रह गई होगी, उस पर ध्यान देने की बजाय यही समझना कि यहां मोदी प्रत्याशी हैं और उनके लिए वोट कर रहे हैं। इसका असर हुआ है, नाराज लोगों को एकजुट करने का मौका मिला है।
अन्नपूर्णा देवी का मुकाबला इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी भाकपा माले के तेज तर्रार विधायक विनोद कुमार सिंह से है। जिनके पिता भी विधायक रहे हैं। वर्तमान में सिंह इसी सीट की बगोदर विधानसभा से विधायक हैं। दूसरे अधिवक्ता अभिषेक कुमार कहते हैं अब कोडरमा की लड़ाई जाति पर आ गई है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि काम कितना हुआ है। यह सीट यादव बहुल है और अन्नपूर्णा इसी समाज से हैं, इसलिए जाति की गोलबंदी की जा रही है। दिलचस्प यह है कि भाजपा के समर्थक भी विनोद कुमार सिंह की कमियां नहीं गिना पाते और मजबूत प्रत्याशी मानते हैं।

सडक़ और रोजगार मुद्दा

कोडरमा से तीन नेशनल हाइवे गुजरते हैं, पटना और रांची इसी रास्ते में आते हैं। लेकिन विकास को लेकर लोगों में असंतोष है। संतोष कुमार कहते हैं जिले में सडक़ें तक तो बेहतर हैं नहीं, दामोदर वैली में बांध का निर्माण किया गया है। पीने का पानी वहीं से आता है, कई इलाकों में पानी का गंभीर संकट है। तो विनय कुमार सिंह कहते हैं कि अभ्रक की खदानों के कारण कोडरमा पूरे दुनिया में विख्यात था। यहां जैसी अभ्रक की क्वालिटी कहीं और नहीं पाई जाती। लेकिन अभ्रक आधारित उद्योग यहां नहीं लगे और कृत्रिम अभ्रक के आने से इसकी मांग कम होने लगी। इससे रोजगार का बड़ा संकट पैदा हो गया है। यही वजह है कि पलायन बढ़ा है। मुकेश कुमार बताते हैं कि जिनता पलायन कोडरमा जिले में होता है, उतना शायद कहीं और नहीं होगा। टे्रनें भरकर यहां से जाती हैं। लोगों को काम मिले तो अपना घर छोडकऱ दूसरे प्रदेश क्यों जाएंगे। इसको लेकर लोगों में गुस्सा है पर चुनाव में मुद्दा नहीं बनाया जाता। उसकी जगह जाति और भावना से जुड़े मुद्दे उठाए जाते हैं। वहीं, प्रदीप सूलिया कहते हैं कि स्टील सहित कई कारखाने यहां लगे हैं, लेकिन इसका फायदा आम आदमी को नहीं बल्कि नेताओं को हो रहा है।

महागठबंधन झोंक रहा ताकत

महागठबंधन के सीट बंटवारे में कोडरमा भाकपा माले को आवंटित की गई है। जो प्रत्याशी विनोद कुमार सिंह की वजह से एकजुट नजर आ रहा है। इसी सीट के झुमरी तिलैया में कांग्रेस ने हाइवे पर बड़ा कार्यालय खोला है, जिसमें पार्टी के बड़े झंडे लगे हुए हैं। कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा कि यह सब आपसी सहयोग से किया गया है। जिस तरह का माहौल कोडरमा में है, सब मिलकर महागठबंधन प्रत्याशी को जीत दिलाने के लिए काम कर रहे हैं। वह यह भी कहते हैं कि यह केवल कांग्रेस का कार्यालय नहीं है, राजद, माले और झारखंड मुक्ति मोर्चा के पदाधिकारी व कार्यकर्ता आते हैं और क्षेत्र का फीडबैक देते हैं। इसी से आगे की रणनीति तैयार होती है।
कल्पना की उम्मीदवारी ने भी बढ़ाया उत्साह गांडेय विधानसभा के उपचुनाव में कल्पना सोरेन के उतरने से भी महागठबंधन का उत्साह बढ़ा है। यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक सरफराज खान के राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने से रिक्त हुई है। इस सीट से कल्पना की उम्मीदवारी सोची समझी रणनीति के तहत तय की गई। झामुमो के संस्थापक और हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन प्रचार से दूर हैं पर वे बहू कल्पना के नामांकन की रैली में शामिल हुए थे। वहीं, तेजस्वी यादव भी गांडेय का दौरा कर महागठबंधन में उत्साह भर चुके हैं। इस सीट से भाजपा ने दिलीप कुमार वर्मा को उतारा है।

बागी ने बिगाड़ा गणित

कोडरमा लोकसभा में 70 प्रतिशत आबादी ओबीसी समाज की है। इसमें यादव वोटरों की संख्या सबसे अधिक है, कुशवाहा निर्णायक हैं। अभिषेक कुमार बताते हैं कि इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए गांडेय विधानसभा उपचुनाव में कुशवाहा समाज से दिलीप कुमार वर्मा को भाजपा ने उतारा है। लेकिन भाजपा के पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा लोकसभा में बागी प्रत्याशी के तौर पर उतरकर समीकरण उल्टा-पुल्टा कर दिया है। हालांकि जयप्रकाश कुछ माह पहले ही भाजपा छोड़ चुके थे और टिकट की उम्मीद में झामुमो में गए थे पर बात नहीं बनी तो निर्दलीय उतर गए।

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