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J&K High Court Quashes 9% Tax Demand : दूसरे राज्य में वाहन का पुन: पंजीकरण जरूरी नहीं, बिना टैक्स लिए दूसरा नंबर दे राज्य

J&K High Court Quashes 9% Tax Demand : कोर्ट ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में कहीं भी वाहन के पुनः पंजीकरण तथा ऐसे पुनः पंजीकरण पर टैक्स के भुगतान का प्रावधान नहीं है।

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J&K High Court Quashes 9% Tax Demand : जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि एक राज्य में पंजीकृत वाहन तय अवधि से अधिक दूसरे राज्य में संचालित या स्थानांतरित होता है तो उस वाहन का पुन:पंजीकरण करने के बजाय बिना टैक्स लिए दूसरा वाहन नंबर दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि किसी मोटर वाहन को केन्द्र सरकार के निर्धारित टैक्स का भुगतान कर एक बार पंजीकृत कराना होगा और ऐसा पंजीकरण पूरे भारत में वैध होगा। एक बार पंजीकृत होने के बाद वाहन को भारत में कहीं दोबारा पंजीकृत कराने की आवश्यकता नहीं होगी। जस्टिस जावेद इकबाल वानी ने इशफाक अहमद त्रंबू की याचिका पर यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में कहीं भी वाहन के पुनः पंजीकरण तथा ऐसे पुनः पंजीकरण पर टैक्स के भुगतान का प्रावधान नहीं है।

टोकन टैक्स नहीं

कोर्ट ने कहा कि वाहन मालिक को केवल इसलिए दोबारा टोकन टैक्स या सड़क उपयोग कर का भुगतान करने के लिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह किसी अन्य राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में वाहन का उपयोग करना चाहता है।

यह था मामला

याचिकाकर्ता त्रंबू ने 2015 में हरियाणा में वाहन खरीदा और संचालित किया। वह 2023 में इसे जम्मू-कश्मीर ले आया और 12 महीने चलाने के बाद परिवहन विभाग से वाहन स्थानांतरित कर नया नंबर देने का आवेदन किया। विभाग ने उससे पुन:पंजीकरण के लिए नौ फीसदी टैक्स मांगा। इसे कोर्ट में चुनौती दी गई।