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जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी, 145 सांसदों ने लोकसभा स्पीकर को सौंपा लेटर

लोकसभा के 145 सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर उसे लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को पेश किया है।

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भारत

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Himadri Joshi

Jul 21, 2025

Justice Yashwant Verma case

Justice Yashwant Verma case ( photo - ians )

कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें शायद बहुत जल्द बढ़ने वाली है। उन्होंने भले ही अपने खिलाफ पेश की गई जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हो, लेकिन सरकार ने उनके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी तेज कर दी है। सोमवार को ही संसद के मानसून सत्र का आगाज हुआ है और पहले ही दिन लोकसभा के 145 सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए है।

महाभियोग चलाने की कार्यवाही शुरु

इसी के साथ राज्यसभा के 54 सांसदों ने भी हाई कोर्ट जज वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन किया है। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सांसदों के हस्ताक्षर किया गया यह ज्ञापन सौंपे जाने के बाद जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की कार्यवाही शुरु कर दी गई है। सांसदों ने संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत यह कदम उठाया है।

विपक्षी पार्टीयों का मिला समर्थन

इस ज्ञापन को बीजेपी सांसदों के साथ साथ कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, जेडीएस, जनसेना पार्टी, एजीपी, शिवसेना (शिंदे), एलजेएसपी, एसकेपी, सीपीएम सहित विभिन्न दलों के सांसदों का समर्थन भी मिला है। महाभियोग प्रस्ताव हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राहुल गांधी, राजीव प्रताप रूडी, पीपी चौधरी, सुप्रिया सुले और केसी वेणुगोपाल जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं। इनके समेत 145 सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की है।

क्या है जस्टिस वर्मा का कैश कांड

बता दे कि, 15 मार्च 2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से बेहिसाब 500 रुपए के जले और अधजले नोट मिले थे। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हुआ था। घटना के सामने आने के बाद से जज वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे थे। हालांकि उन्होंने इन आरोपो से इनकार किया था और इस पूरे मामले को उनके खिलाफ साजिश बताया था। इसके बाद 22 मार्च को देश के मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले में एक आंतरिक जांच शुरू की थी और जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए हाई कोर्ट के तीन न्यायाधीशों का पैनल भी बनाया था।

कोर्ट से नहीं मिली सजा तो अब सांसद करेंगे मामले की जांच

जांच के दौरान सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट करने की सिफारिश की थी। इस पर सरकार ने मुहर लगाते हुए वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट का कार्यभार सौंप दिया था। 5 अप्रैल को जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की थी। लेकिन इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अब उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसके बाद अब संसद में इस मामले की जांच होगी।