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मल्लिकार्जुन खरगे की घर की लड़ाई दिल्ली तक पहुंची! नंबर दो को लेकर छिड़ी जंग

Karnataka Politics: खरगे के गृह राज्य में कलह ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें, अधिक उपमुख्यमंत्री पदों की मांग से बढ़ी खींचतान, शिवकुमार समर्थकों ने छेड़ा नेतृत्व परिवर्तन का राग

लोकसभा चुनाव में अपेक्षा से अधिक सफलता प्राप्त होने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भले ही खुश हो लें लेक्रिन वह अपने गृह राज्य में कांग्रेसी की गुटबाजी को खत्म करने में कामयाब नहीं हो पा रहे। मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या व उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच चल रही खींचतान खुलकर सामने आ गई है। महज 13 महीने पुरानी सरकार में उपमुख्यमंत्री पदों की संख्या बढ़ाने से लेकर मुख्यमंत्री बदलने तक की मांग हो रही है। इस बीच दिल्ली दौरे पर गए मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने शनिवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मुलाकात की। इस मीटिंग के सियासी हलकों में अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं।

28 में से सिर्फ 9 सीटें ही मिलीं

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य की 28 में से सिर्फ 9 सीटें ही मिलीं। चुनाव के बाद से जातीय समीकरणों को साधने के लिए एक बार फिर तीन और उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग उठी। इस बार भी सिद्धू समर्थकों ने ही मांग उठाई। इसके जवाब में शिवकुमार समर्थकों ने नेतृत्व परिवर्तन की मांग को फिर हवा दे दी।

बताया जाता है कि उपमुख्यमंत्री पदों की संख्या बढ़ाने की मांग सिद्धू समर्थकों ने उपमुख्यमंत्री शिवकुमार के राजनीतिक प्रभाव को कम करने के लिए की थी। शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से हैं और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। इस बीच बेंगलूरु के संस्थापक नाडप्रभु केम्पेगौड़ा की जयंती पर आयोजित सरकारी समारोह में एक वोक्कालिगा संत ने सिद्धरामय्या और शिवकुमार की मंच पर मौजूदगी में ही शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर मामले को नया मोड़ दे दिया। इसके बाद दूसरे बड़े राजनीतिक प्रभाव वाले लिंगायत समुदाय के संत ने भी नेतृत्व परिवर्तन होने पर वीरशैव लिंगायत समुदाय को मौका देने की मांग कर दी। मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या तीसरे बड़े राजनीतिक प्रभाव वाले समुदाय कुरुबा से हैं।

शिवकुमार को हटाने की मांग

सिद्धू समर्थक खेमा शिवकुमार की जगह किसी अन्य नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की भी मांग कर रहा है। इस खेमे के नेताओं का कहना है कि आलाकमान ने लोकसभा चुनाव तक ही शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री के साथ प्रदेश अध्यक्ष बने रहने की बात कही थी और अब आम चुनाव हो चुका है। सिद्धरामय्या समर्थक के.एन. राजण्णा ने तो खुले तौर पर मंत्री पद छोड़कर प्रदेश अध्यक्ष बनने की इच्छा जताई है। दोनों नेताओं की चेतावनी के बावजूद उनके समर्थक मंत्री और नेता बयानबाजी बंद नहीं कर रहे हैं। अब कांग्रेस ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है।