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केरल की पहली फॉरेंसिक सर्जन की मौत, मर्डर की गुत्थियां सुलझाने में थीं एक्सपर्ट, Dr Sherly Vasu की दमदार शख्सियत के बारे में जानें

Dr Sherly Vasu Death: केरल की पहली महिला फॉरेंसिक सर्जन और मशहूर फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. शर्ली वासु का निधन हो गया है। उनकी मृत्यु का कारण हार्टअटैक बताया जा रहा है।

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भारत

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Devika Chatraj

Sep 05, 2025

sherly vasu

केरल की पहली फॉरेंसिक सर्जन की मौत (X)

केरल की पहली महिला फॉरेंसिक सर्जन और मशहूर फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. शर्ली वासु (Dr Sherly Vasu) का 4 सितंबर, 2025 को 68 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह अपने कोझिकोड स्थित आवास पर अचानक बेहोश होकर गिरीं और उन्हें कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, उनकी मृत्यु का कारण हार्टअटैक बताया जा रहा है।

35 साल में 20,000 से अधिक पोस्टमार्टम

डॉ. शर्ली वासु ने अपने 35 साल के करियर में 20,000 से अधिक पोस्टमार्टम किए और कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह केरल में फॉरेंसिक मेडिसिन के क्षेत्र में एक पथप्रदर्शक थीं और उनकी सटीक ऑटोप्सी रिपोर्ट्स ने कई जटिल मामलों में पुलिस को महत्वपूर्ण सुराग प्रदान किए। सौम्या हत्याकांड, मारद दंगे, फासल हत्याकांड, पूक्कीपरंबा बस हादसा और कडलुंडी रेल हादसा जैसे कई चर्चित मामलों में उनकी विशेषज्ञता ने न्याय दिलाने में मदद की।

शिक्षा और करियर की शुरुआत

थोडुपुझा, इडुक्की की मूल निवासी डॉ. शर्ली ने 1979 में कोट्टायम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और 1984 में कोझिकोड मेडिकल कॉलेज से फॉरेंसिक मेडिसिन में एमडी की डिग्री हासिल की। 1982 में उन्होंने कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में ट्यूटर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और बाद में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 2016 में थ्रिसूर मेडिकल कॉलेज से प्रिंसिपल के पद से रिटायर होने के बाद, वह कोझिकोड के केएमसीटी मेडिकल कॉलेज में फॉरेंसिक विभाग की प्रमुख के रूप में कार्यरत थीं।

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अत्याचार पर विशेष प्रशिक्षण

1995 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की फेलोशिप के तहत डॉ. शर्ली ने लंदन विश्वविद्यालय और स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस में प्रशिक्षण प्राप्त किया, जहां उन्होंने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अत्याचार से संबंधित मामलों में विशेषज्ञता हासिल की। उनकी इस विशेषज्ञता ने कई जटिल मामलों को सुलझाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सौम्या और सफिया जैसे चर्चित मामले

डॉ. शर्ली ने 2011 के सौम्या हत्याकांड में ऑटोप्सी की थी, जिसमें उनकी रिपोर्ट ने मजबूत आधार प्रदान किया था। इसके अलावा, 2012 में गोवा के मोल्लेम गांव में 14 वर्षीय सफिया के अवशेषों की खोज में उनकी भूमिका उल्लेखनीय थी। उन्होंने न केवल अवशेषों को बरामद किया, बल्कि हत्या के सबूतों को उजागर कर अपराधियों को सजा दिलाने में मदद की।

'पोस्टमार्टम टेबल'

डॉ. शर्ली ने अपनी पुस्तक पोस्टमार्टम टेबल में अपने पेशेवर अनुभवों को साझा किया, जो मलयालम में एक बेस्टसेलर बन गई। इस पुस्तक ने न केवल उनके काम को बल्कि फॉरेंसिक साइंस के महत्व को भी आम जनता तक पहुंचाया। 2016 में उन्हें केरल सरकार द्वारा जस्टिस फातिमा बीवी अवॉर्ड और वनीता रत्नम अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उसी वर्ष उन्हें द न्यू इंडियन एक्सप्रेस का देवी अवॉर्ड भी प्राप्त हुआ।

निजी जीवन

डॉ. शर्ली अपने पीछे पति डॉ. के. बालकृष्णन, बेटी नंदना और बेटे निधिन को छोड़ गई हैं। उनके माता-पिता कोर्ट कर्मचारी थे, और उनके पिता, एक कम्युनिस्ट और नास्तिक, ने उन्हें सामुदायिक बाधाओं को तोड़ने के लिए एक अंग्रेजी नाम दिया।

सैकड़ों छात्रों को फॉरेंसिक मेडिसिन का प्रशिक्षण

डॉ. शर्ली ने न केवल अपराधों को सुलझाने में योगदान दिया, बल्कि सैकड़ों छात्रों को फॉरेंसिक मेडिसिन का प्रशिक्षण देकर इस क्षेत्र को मजबूत किया। उनकी निडरता, सच्चाई के प्रति समर्पण और सामाजिक प्रतिबद्धता ने उन्हें एक दमदार शख्सियत बनाया। उनकी मृत्यु को फॉरेंसिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है।