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कौन है भारत पारेख, जो श्मशान घाट पर बीमा बेचकर कर लेते हैं LIC के चेयरमैन जितनी कमाई

भारत पारेख काफी लम्बे समय से एलआईसी के एजेंट है , वो रोजाना अखबार में छपने वाली मौत की खबरों को देखते हैं , और फिर श्मशान घाट पहुंच जाते हैं जहां वह LIC का बीमा बेचते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पारेख अब तक कुल 40 हजार पालिसी बेच चुके हैं।

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समय हार्ड वर्क का नहीं बल्कि स्मार्ट वर्क है, ये बात भारत पारेख पर पूरी तरह से फिट बैठती है। लंबे समय से पारेख एलआईसी के एजेंट है। आज उनकी कमाई करोड़ों में है। भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) काफी पुरानी और भरोसेमंद सरकारी संस्था है। इसके नाम और काम से हर कोई परिचित है। LIC बीमा बेचने के लिए एजेंट्स रखती है, अब तक एलआईसी के लगभग 1.36 मिलियन एजेंट है। बीमा बेचने के लिए हर एक बीमा एजेंट को कमीशन दिया मिलता है , जो की एजेंट का कमाई का सोर्स होता है। और ये कोई आम कमीशन नहीं होता है , बता दे इसी कमीशन के जरिये न जाने कितने ही एजेंट करोड़पति बन गए है। इनमें से 55 वर्षीय भारत पारेख भी एक हैं।

दशकों से बीमा एजेंट भारत पारेख रोजाना अखबार में छपने वाली मौत की खबरों को पढ़ते है और फिर बीमा बेचने शमशान घाट पहुंच जाते हैं। पारेख मृत हुए व्यक्ति के रिश्तेदारों से मिलकर उनको अपना परिचय बताते हैं, अपना विजिटिंग कार्ड देकर मृतक के क्लेम का सेटेलमेंट करवाने का यकीन दिलाते है। पॉलिसी से जुड़े क्लेम को दिलवाने के लिए वह किसी भी प्रकार का चार्ज नहीं लेते हैं।

पारेख बताते है, भारत में किसी को अंतिम संस्कार में जाने के लिए निमंत्रण की जरुरत नहीं होती है। वह शोक में डूबे परिवार के बारे में पता करते हैं फिर वहां जाकर मृतक के रिश्तेदारों और दोस्तों से बात करते है ,उनको अपना परिचय देते है। और बताते है की बीमा के किसी भी दावे को निपटाने के लिए फ्री सेवाएं देते है। जिसके बाद वो अपना विजिटिंग कार्ड देकर वहां से चले जाते है।


जब परिवार में मृतक के लिए किये जाने वाले सभी काम पूरे हो जाते है तो कुछ लोग उनको कॉल करके बुलाते है। पारेख इस बात को सुनिश्चित करते है की मृत्यु हुए व्यक्ति का जो भी दावा है , उसका समय से निपटारा हो जाये। उन्होंने बताया की वो पता करते है की मौत की वहज से परिवार की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा है - क्या कोई कर्ज है , क्या उनके पास पर्याप्त बीमा या निवेश है ? पारेख कहते है "मैं मृत्यु से परिवार पर इससे पड़ने वाले प्रभाव के बारे में अच्छे तरह समझता हुं। जब मैं छोटा था तब मैंने अपने पिता को खोया।


18 साल की उम्र से हुई शुरुआत

भारत पारेख जब 18 साल के हुए तो उनके ऊपर अचानक परिवार की जिम्मेदारी आ गयी , उन्होंने कॉलेज के बाद बीमा बेचना शुरू कर दिया। लोगों से मिल कर बीमा बेचने का काम करते थे। पहले छह महीनों में पारेख ने छह पॉलिसी बेचीं। अपने पहले वर्ष के अंत में, उन्होंने कमीशन के रूप में लगभग 15,000 रुपये कमाए। उस समय उनके लिए "जीवन बीमा बेचना मुश्किल था। पारेख ने बताया बीमा एजेंटों की अक्सर खराब प्रतिष्ठा होती है, और उन्हें गिद्धों के रूप में माना जाता है, जो ग्राहकों की असुरक्षा का शिकार होते हैं। इनमें से किसी ने भी पारेख को विचलित नहीं किया। इन सालों में वह होशियार होते गए और बहुत कुछ सीखते गए । उन्होंने महसूस किया कि मृतकों को ट्रैक करना जीवित को कॉल करने से बेहतर काम करता है। उनके क्लाइंट में स्ट्रीट वेंडर से लेकर बिजनेसमैन तक शामिल हैं।


पारेख है स्टार एजेंट, चेयरमैन से ज्यादा कमाई

55 वर्षीय पारेख LIC के स्टार एजेंट में से एक हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पारेख अब तक 32.4 करोड़ डॉलर की जीवन बीमा की बिक्री कर चुके हैं। इनमें से ज्यादातर पॉलिसी उन्होंने नागपुर या उसके आसपास ही बेचीं है। पारेख कहते हैं कि वो 40 हजार पॉलिसी बेच चुके हैं। वहीं प्रीमियम जमा करने, क्लेम सेटलमेंट आदि जैसी सुविधाएं वो फ्री में देते हैं। इनकी कमाई एलआईसी के चेयरमैन से ज्यादा है। इनको कई स्कूल , कालेज , बैंक और मैनेजमेंट स्कूल्ज में बातचीत के लिए भी बुलाया जाता है।