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2010 के बाद हर बार नया तकनीकी ट्रेंड, अभी पर्सनलाइज्ड कंटेंट डिमांड में इलेक्शन ट्रेंड

AI Usage in Elections: द इंडियन डीपफेकर के फाउंडर दिव्येंद्र सिंह जादौन का कहना है कि राजनीति दल वोटर्स को लुभाने के लिए तकनीकी मदद लेते हैं। जैसे-जैसे लोग तकनीक बारीकियां समझने लगते हैं तो इनमें बदलाव की जरूरत पड़ती है। पढ़िए हेमंत पांडेय की स्पेशल रिपोर्ट...

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AI Usage in Elections

सोशल मीडिया की लोकप्रियता और इससे जुड़ी तकनीकों का चुनावों में भरपूर इस्तेमाल होता है। साल 2010 से चुनावों में टेक्नोलॉजी का दखल बढ़ा है, लेकिन जैसे-जैसे लोगों में इसकी समझ बढ़ती गई पार्टियों ने नए-नए तकनीक माध्यमों का सहारा लेना शुरू कर दिया। यह ट्रेंड लगातार बदलता रहा है। 2010 के चुनाव में सोशल मीडिया, 2012 में वनवे आइपीआर कॉल्स, 2014 में 3डी होलोग्राम्स और टार्गेटेड पॉलिटकल एड-कैंपन, सोशल मीडिया, 2016 में डेटा एनालिसिस के लिए आर-पायथन का इस्तेमाल, 2017 से 2019 तक पब्लिक सेंटीमेंट्स एनालिसिस, सोशल मीडिया और यूट्यूब का उपयोग, 2020 में रैली एनालिसिस के लिए यूजिंग बाय एआइ, 2023 में टूवे एआई कॉल्स और अब 2024 के चुनाव में पर्सनलाइज्ड या हाइपर पर्सनलाइज्ड मैसेज ट्रेंड में है। पर्सनलाइज्ड मैसेज केवल एक ही वोटर के लिए बनाया जाता है।

ऐसे तैयार किए जाते पर्सनलाइज्ड कंटेंट

मुओनियम एआइ, चेन्नई के फाउंडर सेंथिल नयागाम का कहना है कि इसमें नेता की वॉयस और फोटो के साथ एआइ वीडियो बनाते हैं। यह वीडियो केवल संबधित व्यक्ति को भेजा जाता है। वीडियो की शुरुआत में नेता वोटर का नाम लेकर बात शुरू करता और परिवार के अन्य सदस्यों की जानकारी के बाद वह बताता है कि अगर आप उसकी पार्टी को वोट देंगे तो क्या-क्या फायदा होगा। ये जानकारी देखने-सुनने के बाद वोटर प्रभावित हो जाता है।

20 रुपए में बनता है एक एआइ वीडियो

सेंथिल कहते हैं कि इस तरह के कंटेंट बनाने में सभी तरह की विशेषज्ञता की जरूरत होती है। इसमें वीएफएक्स, वॉयस, टेक्स्ट, फेस रिक्गनिशन आदि का काम होता है। एक्सपर्ट, नेता की आवाज का सैंपल लेते हैं। सैंपल के लिए 10-15 मिनट तक नेता की आवाज की मॉनिटरिंग करते हैं, फिर उनकी फोटो, टेक्स्ट और लिप्सिंग के साथ एआइ वीडियो तैयार करते हैं। एक वीडियो बनाकर वोटर तक पहुंचाने का खर्च लगभग 20 रुपए आता है। एक बार सैंपल लेने का बाद यह काम मिनटों में होता है। हर व्यक्ति का डेटा पार्टी की ओर से एआइ कंपनियों को उपलब्ध करवाया जाता है। कुछ वीडियो में टू वे कम्युनिकेशन की व्यवस्था की गई है। इसमें वोटर्स की बातों का जवाब भी एआइ देता है और यह आवाज नेता जैसी होती है।