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4 नवंबर को SIR के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे ममता और अभिषेक बनर्जी, TMC ने किया ऐलान

TMC चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया के खिलाफ विरोध आंदोलन तेज करने का ऐलान किया है। पार्टी का आरोप है कि SIR के तहत भाजपा के 'फूट डालो-राज करो' अभियान के तहत असली मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं।

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Mamata Banerjee

ममता बनर्जी (Photo-ANI)

पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ आंदोलन तेज करने का ऐलान किया है। पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) 4 नवंबर को कोलकाता की सड़कों पर उतरकर इसका विरोध करेंगे। यह तारीख खास इसलिए चुनी गई है क्योंकि इसी दिन बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) मतदाता सूची के लिए एन्यूमरेशन फॉर्म बांटना शुरू करेंगे।

TMC का चुनाव आयोग पर आरोप

TMC का आरोप है कि SIR के नाम पर असली मतदाताओं के नाम कटवाए जा रहे हैं, जो भाजपा की 'फूट डालो-राज करो' की साजिश का हिस्सा है। अभिषेक बनर्जी ने हालिया बूथ-स्तरीय एजेंटों की बैठक में कहा कि अगर एक भी वैध वोटर का नाम लिस्ट से गायब पाया गया, तो दिल्ली में चुनाव आयोग का दफ्तर एक लाख लोगों के साथ घेरा जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी, "हम किसी का वोटिंग राइट छीनने नहीं देंगे। असम जैसे हालात बंगाल में दोहराने की कोशिश हो रही है, जहां लाखों हिंदुओं के नाम कटे थे।"

रैली में ममता और अभिषेक सहित टॉप लीडर्स होंगे शामिल

ममता बनर्जी ने भी SIR को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए कहा, "जब तक मैं जिंदा हूं, किसी को भी लोगों का मताधिकार छीनने नहीं दूंगी। यह भाषाई और सामाजिक विभाजन की साजिश है।" पार्टी ने 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक पूरे राज्य में क्षेत्रवार हेल्प डेस्क लगाने का प्लान बनाया है, जहां लोग अपने नाम की जांच कर सकेंगे। साथ ही, कोलकाता में एक बड़ी रैली का आयोजन किया जाएगा, जिसमें ममता और अभिषेक सहित टॉप लीडर्स शामिल होंगे।

TMC का केंद्र पर हमला

चुनाव आयोग ने 12 राज्यों में SIR की घोषणा की है, जिसमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है। TMC का दावा है कि यह प्रक्रिया घुसपैठियों को हटाने के बहाने असली वोटरों को निशाना बना रही है। पार्टी ने दो मामलों का हवाला दिया, जहां SIR के डर से लोगों ने आत्महत्या कर ली।

विपक्ष का पलटवार

भाजपा ने TMC के ऐलान को 'राजनीतिक स्टंट' करार दिया है। पार्टी का कहना है कि SIR चुनाव आयोग की नियमित प्रक्रिया है, जो वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा बनाने के लिए जरूरी है। बिहार में सुप्रीम कोर्ट ने SIR को मंजूरी दी है, जिसका असर बंगाल पर भी पड़ सकता है।