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Legal News:’पिता की संपत्ति पर हक के लिए सिर्फ बेटा होना काफी नहीं’, हाईकोर्ट ने डॉक्टरों को दिए ये निर्देश

Son Right on His Father Property : पटना हाइकोर्ट ने एक याचिका पर पर सुनवाई करते हुए कहा कि पिता की प्रॉपर्टी पर हक जताने का आधार सिर्फ बेटा होना नहीं है।

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Patna High Court : पटना हाइकोर्ट ने सीनियर सिटीजन के भरण-पोषण और कल्याण एक्ट-2007 के तहत एक मामले के फैसले में कहा कि सिर्फ रिश्ते के आधार पर बेटे को पिता के स्वामित्व वाली प्रॉपर्टी में निवास का दावा करने का अधिकार नहीं है। चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थसारथी की खंडपीठ ने मामले में बेटे की व्यवसाय में भागीदारी, कमाई और किराए का खर्च वहन करने की क्षमता पर विचार करते हुए कहा कि मकान पर जबरन कब्जा करने वाले बेटे को बुजुर्ग माता-पिता को मासिक किराया देना होगा।


सिर्फ बेटा होना पिता की प्रॉपर्टी पर हक जताने का आधार नहीं

एक गेस्ट हाउस के मालिक आर.पी. रॉय ने कोर्ट में दावा किया कि उनके सबसे छोटे बेटे रवि ने जबरन गेस्ट हाउस के तीन कमरों पर कब्जा कर लिया। इससे उन्हें किराए की आय और आवासीय सुविधा, दोनों से वंचित होना पड़ा। रॉय के आरोपों के बाद ट्रिब्यूनल ने बेटे के खिलाफ बेदखली का जो आदेश जारी किया था, उसमें कहा गया गेस्ट हाउस रॉय की पट्टे पर ली गई संपत्ति है, जो कानून के तहत सीनियर सिटीजन हैं।

बुजुर्ग माता-पिता को देना होगा किराया

इसके खिलाफ बेटे ने हाईकोर्ट में अपील की थी। उसने तर्क दिया कि रॉय के पास आय के अन्य स्रोत हैं। संपत्ति संयुक्त हिंदू परिवार की है। इसलिए इस पर उसका भी अधिकार है। हाईकोर्ट ने बेटे की बेदखली के लिए ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द कर दिया और मामला संबंधित जिला मजिस्ट्रेट को भेज दिया, जिससे वह बेटे के कब्जे वाले कमरों का किराया तय कर सकें। खंडपीठ ने कहा कि बेटे को किराए का नियमित भुगतान पिता के खाते में करना होगा।

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डॉक्‍टरों से साफ साफ लिखवाएं पर्ची


उड़ीसा हाईकोर्ट ने ओडिशा के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह सभी डॉक्टरों को मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन और मेडिको-लीगल दस्तावेज सुस्पष्ट लिखने का निर्देश जारी करें। न्यायमूर्ति एस.के. पाणिग्रही ने कहा कि 'जिगजैग हैंडराइटिंग'की प्रवृत्ति डॉक्टरों में फैशन बन गई है। इसे आम लोग या न्यायिक अधिकारी नहीं पढ़ सकते। सांप काटने के मामले में मुआवजे के लिए एक व्यक्ति की याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने यह निर्देश दिया। इस मामले में पेश की गई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कोर्ट भी नहीं पढ़ सकी। इसे समझने के लिए डॉक्टर को बुलाना पड़ा।

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