बता दें कि 26 मई को उत्तरी ओडिशा के तट पर यास चक्रवात आया था। जिसका समुद्र स्तर 17 मई को गुजरात के तट को पार करने वाले चक्रवाती तूफान तौकते की तुलना में काफी अधिक दर्ज किया गया। इसका अर्थ है कि साल दर साल समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और भविष्य में इससे भारत को कई समस्याएं हो सकती हैं।
एक जलवायु वैज्ञानिक और जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल के सह-लेखक स्वप्ना पनिकल ने अगस्त में जारी ‘द फिजिकल साइंस बेसिस’ में कहा कि यह मुख्य रूप से ज्वार, स्थलाकृति और औसत समुद्र के स्तर के कारण है, जो समुद्र के चरम स्तर की घटनाओं की संभावना को निर्धारित करता है। उन्होंने एक कार्यक्रम में इस खतरे पर बोलते हुए कहा कि समुद्र के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए भारत के तटीय इलाकों को और बेहतर तरीके से तैयार करने की आवश्यकता है।
पनिकल ने बताया कि कि जैसे-2 गर्मी बढ़ती है समुद्र का पानी फैलता है। गर्मी के चलते ग्लेशियरों का पानी पिघलता है और इससे भी समुद्र के जलस्तर में वृद्धि होती है। उनका कहना है कि 2050 तक, हिंद महासागर क्षेत्र में भी समुद्र के स्तर में 15 से 20 सेमी की वृद्धि हो सकते है। हमें इन खतरों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।